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“अदब के शहर लखनऊ में सरेराह मेरा दुपट्टा खींच लिया गया”

बीती रात लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर स्थित अपने दफ्तर से घर जाने के लिए मुझे ऑटो रिक्शा लेना था। इसमें नया कुछ नही है, पिछले 15 दिनों से यही नियम है। मैं दिल्ली से लखनऊ 20 दिन पहले आई थी। दिल-दिमाग पर ये बात काबिज़ थी कि लखनऊ तमीज़-ओ-तहजीब का शहर है। मगर इन 20 दिनों में मैं इस मुग़ालते से बाहर आ चुकी हूँ।

यहाँ सरेराह किसी भी लड़की का दुपट्टा खींचा जा सकता है, और मैं ये बात इतने भरोसे के साथ इसलिए कह रही हूँ क्योंकि मेरा अपना दुपट्टा भी 26 फरवरी की रात इतनी आसानी से खींच लिया गया था। मैं सबसे अश्लील शब्दों से नवाज़ दी गयी थी, और बहुत आसानी से मुझे देर रात तक बाहर रहने पर ”चरित्रहीन” भी मान लिया गया था। प्रदेश की राजधानी होने के बावजूद पुलिस विभाग इतना लचर है कि 100 नंबर पर कोई जवाब नहीं देता, तो 1090 के महिला सुरक्षा के सभी दावे भी खोखले नज़र आते हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ज़ारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार जिलेवार तौर पर लखनऊ महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों में दूसरे नंबर पर आता है। सरकारी महकमे की लापरवाही इस क़दर हावी है कि कभी कभी रक्षक ही भक्षक बन जाते हैं।

शुभी(बदला हुआ नाम) 19 वर्ष, सीए की छात्रा हैं, बीते दिनों घटी एक घटना बताते हुए वो रुआंसी हो जाती है, ”कोचिंग से लौटते हुए मैंने शेयरिंग वाला ऑटो लिया,और बैग अपने पैरों पे रखकर बैठी ही थी कि बगल में एक अंकल जो कि पुलिस यूनिफार्म पहने हुए थे। उन्होंने अपने बैग के नीचे से हाथ लाकर मेरी जाँघों को छूना शुरू कर दिया। मैं डर गयी, और आधे रास्ते में ही ऑटो से उतर गयी”

सांझी दुनिया द्वारा किये गए एक सर्वे के मुताबिक़ लखनऊ में आम यातायात प्रयोग में लाने वाली 10 में से 9 औरतों को मोलेस्टेशन घटनाओं का शिकार होना पड़ता है। और मोलेस्ट करने वाले लोगों को काउन्सलिंग की ज़रुरत भी बतायी गयी है। सर्वे की रिपोर्ट आगे बताती है कि चूंकि राजधानी का पुलिस महकमा मोलेस्टेशन जैसी समस्याओं पर गंभीर नही है,इसी के चलते ये वारदातें हर दिन बढ़ती जा रही हैं।

आम जनता भी नहीं जताती है ऐसी किसी घटना पर रोष। लोग शायद ही ऐसे किसी मुद्दे पे लड़की का साथ देते नज़र आते हैं, वे लड़की को परेशान देखकर भी आसानी से आगे बढ़ जाते हैं। जबकि यह समस्या आजीवन एक गहरा असर छोड़ देती है। मनोवैज्ञानिक राजीव पाण्डेय बताते हैं,” यह हमारे परिवेश का ही नतीजा है कि औरतों को आये दिन छेड़छाड़ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा करने वाले एक तरह की मानसिकता से ग्रसित होते हैं। साथ ही औरतों पर भी इस तरह की घटनाएं लम्बे वक़्त के लिए असर छोड़ जाती हैं। और इससे उनके आत्मविश्वास में कमी, भय, तनाव तमाम परेशानियां जन्म ले लेती हैं।

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