किसी पराये मुल्क में खुद को कैसे ढाल लेना चाहिए इसकी मिसाल जाननी हो तो कोलकाता शहर के अफगानी लोगों से एक बार ज़रूर मिलें। जिन्हें आम लोग काबुलीवाला के नाम से जानते हैं। उनका यह नाम रवीन्द्रनाथ टैगोर की एक कहानी काबुलीवाला के नाम पर पड़ा है। जिसमें कहानी का मुख्य किरदार अपना देश काबुल छोड़कर हिन्दुस्तान व्यापार करने आता है और एक छोटी बच्ची से उसे बहुत लगाव हो जाता है।
ड्राई फ्रूट्स और गर्म कपड़ों का व्यापार करने वाले ये लोग करीब 50 साल पहले अफगानिस्तान से भारत आये थे और उन्हें यह ज़मीन इतनी पसंद आयी कि वो वापस अपने मुल्क गये ही नहीं और यहीं बस गये। व्यापार के लिए इन्होने कोलकाता का बाज़ार चुना और आज भी वो इसी शहर में अपनी एक अलग पहचान बनाये हुए जिंदगी बिता रहे हैं।
इनके घरों को कोलकाता में खान कोठी के नाम से जाना जाता है और ये अफगानी लोग अलग रहन-सहन, बोली और संस्कृति के बावजूद भी ये हममें इतने घुल मिल गये हैं कि अब ये पराये नहीं लगते हैं। आज के समय में कोलकाता में तकरीबन 5000 काबुली परिवार हैं और उनमें से पिछली दो पीढ़ियों के लोगों का जन्म तो यहीं भारत में ही हुआ है। आइये देखते हैं उनकी ज़िन्दगी से हमें रूबरू कराती एक बेहतरीन शॉर्ट फिल्म।
Video Courtesy : 101 India
अनूप Youth Ki Awaaz हिंदी के फरवरी-मार्च 2017 बैच के इंटर्न हैं।