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हम ढूंढते रह गए यारों में, मोहब्बत सजी है बाज़ारों में

वैलेंटाइन डे शायद सबसे लंबे चलने वाले त्यौहारों में से एक है। कुछ आस-पास के लोगों और दोस्तों को यह त्यौहार हार मनाते तो देखा है पर मुझे अभी तक कोई ऐसा मौका नहीं मिल पाया है। इस त्यौहार में लगभग 1 हफ्ते अलग-अलग तरीके से अपने मोहब्बत का इज़हार किया जाता है, कभी गुलाब का फूल देकर तो कभी चॉकलेट दे कर। जब मैंने यह त्यौहार पहली बार लोगों को मनाते देखा तब हर जगह सिर्फ लाल रंग ही दिख रहा था। मुझे यह सब देख कर लगा कि कुछ क्रांति होने वाली है, बाद में पता चला की [envoke_twitter_link]मोहब्बत करना भी एक जबरदस्त क्रांति है।[/envoke_twitter_link]

इस त्यौहार के दौरान अगर आप बाज़ार जाएंगे तो वहां पाएंगे कि सभी गिफ्ट, फूल और लगभग सभी कॉफ़ी हाउस जैसी जगहों पर आप को हैरान कर देने वाले ऑफर्स और तमाम तरह के डिस्काउंट भी मिलते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर भी वैलेंटाइन डे का ऑफर चल रहा होता है। पर यह बात तो कपड़े, फूल, चॉकलेट या फिर खिलौनों की है! जो बात मुझे समझ नहीं आ रही है, वो यह है कि मोबाइल फ़ोन की दुकानों में भी क्यूं ऑफर चल रहे हैं।

 

इस पूरे हफ्ते भर के त्यौहार में जो बात मुझे खल रही है वो यह है कि इसमें त्यौहार जैसा उत्साह और उमंग लोगों के बीच थोड़ी कम ही नज़र आती है। इस त्यौहार का ज़्यादा बोलाबाला सिर्फ बाजारों में देखने को मिलता है। यह सिर्फ इस त्यौहार की बात नहीं है, आज-कल तो सभी त्योहारों की ज़बरदस्त मार्केटिंग की जा रही है।

अब दिवाली को ही ले लीजिये, दिवाली में तो 1 महीने पहले से ही ऐसे ऑफर और डिस्काउंट शुरु हो जाते हैं। सोने-चांदी के तोहफ़े खरीदने से लेकर इतने रुपये की खरीदी पर इतने की छूट ऐसे तमाम ऑफर्स पूरे महीने भर चलते हैं। होली का भी कुछ यही हाल है, ऐसे-ऐसे रंग और पिचकारियां बाज़ार में आ गयी हैं कि बस पिचकारियां ही खरीदते रहिये।

पहले जिस तरह से घरों में त्यौहारों की ख़ुशी और उत्साह रहता था, एक रौनक रहती थी, अब वो रौनक थोड़ी कम होती जा रही है और त्यौहारों का बोलबाला बाजारों तक सिमटता जा रहा है। ऐसे में इन्हें सही मायने में आनंद किस तरह उठाया जाए?

 

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