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उत्तर प्रदेश में नेता चुनने यूथ चला बूथ

वोट करना मतदाता का लोकतांत्रिक अधिकार व दायित्व है। कल उत्तर प्रदेश में इसी अधिकार का प्रयोग 73 विधानसभा सीटों पर किया गया।
2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुल 59.6% के करीब मतदान हुआ था। जो बहुत ही कम था। 2012 में अखिलेश यादव को युवा मुख्यमंत्री के तौर पर देखने के लिए उत्तर प्रदेश के युवाओं ने अपने पूर्ण मताधिकार का प्रयोग किया था।

यूपी से दिल्ली में पढ़ने व काम करने के लिए बहुत से युवा आते हैं जो अपने मतदान का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं कर पाते हैं।
डीयू , जेएनयू ,आईआईटी दिल्ली व कोचिंग में यूपी के बहुत से युवा पढ़ने के सिलसिले से आते हैं। उनसे बात करके कई प्रकार की समस्याएं सामने आईं जिनके कारण कई ऐसे 19 से 24 साल तक के युवा हैं जो चाह करके भी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। तो कहीं पर युवाओं में वोट डालने की पूर्ण जागरूकता दिखी। कई ने तो अपनी टिकट भी करा ली है।

डीयू व आईआईटी के कुछ युवाओं का कहना है कि 15,23 व 27 फरवरी और 4 व 8 मार्च को कॉलेज व कोचिंग चालू होने के कारण वोट डालने नहीं जा सकते हैं। ये बात यूपी चुनाव व प्रत्याशियों पर बहुत ही बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं। कुछ युवाओं का कहना है कि वे हालही में सुप्रीम कोर्ट के आये निर्देश से प्रभावित होकर वोट डालने के लिये तैयार हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने हालही में अतिक्रमण हटाये जाने पर याचिकाकर्ता धनेश से पूछा कि क्या वो मतदान करता है? तो धनेश ने उत्तर दिया कि उसने कभी भी मतदान नहीं किया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखे स्वर में कहा कि “अगर आपने वोट नहीं डाला तो आपको सरकार से सवाल करने या उसे दोष देने का कोई हक़ नहीं है।” इस वाक्य पर जो युवा वोट डालने नहीं जाने वाले थे वो भी वोट डालने जाने के लिए तैयार हो गए।

उत्तर प्रदेश से बाहर रह रहे युवाओं की इस जागरूकता को देखते हुए ये लगता है कि अब राजनीति अपने उज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हो रही है। युवा अब मतदान व राजनीति को लेकर जागरूक हो रहा है। ये किसी भी लोकतांत्रिक गणराज्य के लिये शुभ संकेत का प्रतीक है।

रोहित Youth Ki Awaaz हिंदी के फरवरी-मार्च 2017 बैच के इंटर्न हैं।

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