किसी भी राष्ट्र व राज्य के सुदृढ़ निर्माण के लिए एक परिपक्व राजनीति का होना बहुत आवश्यक है। इस परिपक्व राजनीति के लिए एक जागरूक युवा का होना भी बहुत ही आवश्यक है। युवा वर्ग राजनीतिक परिवर्तन में अहम भूमिका निभा सकता है। इसके उदाहरण में हम दिल्ली के विधान सभा चुनाव को ले सकते हैं। युवाओं के समर्थन व वोट से ही दिल्ली में एक नई राजनीतिक पार्टी और राजनीति की शुरुआत हो पाई थी।
यूपी के चुनावों में सभी रैलियों में युवाओं की एक बड़ी संख्या दिखती है। युवा कार्यकर्ता अपने नेता को जिताने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देता है। लेकिन इन सब के बीच एक प्रश्न अवश्य खड़ा होता है कि कहीं युवा मात्र कार्यकर्त्ता बन कर ही तो नहीं रह जा रहा है?
चुनाव आयोग के अनुसार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 14 करोड़ है। इनमे 30 वर्ष से कम युवा मतदाओं की संख्या 4.3 करोड़ है। 18 से 19 के नए मतदाओं की संख्या 24.25 लाख है। जिनमे सबसे ज्यादा 56% युवतियां हैं।
हर नेता अपने व अपनी पार्टी के प्रचार के लिए पूर्ण रूप से युवाओं पर ही निर्भर रहता है। लेकिन ऐसे कितने युवा हैं जो केवल पार्टी प्रचार में अपना आधा जीवन व्यर्थ कर देते हैं और पार्टी के जीतने के बाद उन्हें कोई रोजगार नहीं मिल पाता है। इसका अनुमान हम कानपुर में संविदा भर्ती पर सफाई कर्मचारी की 4000 भर्ती पर 2 लाख आवेदन से लगा सकते हैं। कुछ ऐसा ही नज़ारा यूपी के ही मुरादाबाद जिले में देखने को मिला था जब सफाई कर्मचारी के लिए स्नातक और परस्नातक के युवाओं ने अपना “प्रैक्टिकल” दिया था। सरकार बोल रही है कि हमने युवाओ को रोजगार देकर प्रदेश का विकास किया है। क्या इसी दिन के लिए यूपी के युवाओं ने अपना युवा मुख्यमंत्री चुना था?
सभी पार्टियों ने अपने-अपने घोषणा पत्र में युवाओं के लिए रोज़गार का लॉलीपॉप देने का फिर से एक सफ़ेद झूठ बोला है। युवाओं के लिए बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के पुराने घोषणा पत्र को लगभग दोहरा दिया। तो वहीं समाजवादी पार्टी ने फिर से एक बार युवाओं को रोजगार देने की बात कही है। जो पिछली बार भी हुई थी। अगर आप फिर से इस बार रोजगार ख़त्म करने की बात कर रहे हैं तो आपने पिछली बार क्या किया जो आपको फिर से ये वादा करने की जरुरत पड़ गई? मायावती ने तो कोई घोषणा पत्र ही नहीं जारी किया। उन्होंने मात्र दलितों के परोपकार की बात कही है। मुख्यमंत्री आपको सभी ने मिल कर चुना है। उस युवा का क्या होगा जो दलित न होकर भी बहुजन समाज पार्टी का समर्थन कर रहा है।
युवा मतदातों की यूपी में इतनी ताकत है कि वह चाहे तो अकेले दम पर इस बार पूरा यूपी का राजनीतिक नक्शा बदल सकता है। युवाओं को अपने वोट और भविष्य को ध्यान में रख कर यूपी का रथ किसी ऐसे सारथि के हाथ में देना होगा जो उसके रथ को सावधानी पूर्वक अच्छे से चला सके। न की जीतने के बाद अपने रथ पर मात्र एक सीमित धर्म और जाती के लोगों को बैठा कर उनका ही विकास करे।
रोहित Youth Ki Awaaz हिंदी के फरवरी-मार्च 2017 बैच के इंटर्न हैं।