झम्मन नाई की दुकान पर गया तो नाई ने पूछा बाल कटाने हैं। झम्मन सोचने लगा बड़ा अच्छा प्रश्न है, इसका उत्तर भी अच्छा होना चाहिए। झम्मन ने भी बैक शॉट मारा और कहा-भाई बाल बढ़ा सकता हैं क्या? अगर बाल बढ़ा सकता है तो केश तेल के बिना दो चार बाल उगा दे या मीना कुमारी की तरह लम्बे कर दे।
अब बात बाल बढ़ाने की हो या भ्रष्टाचार बढ़ाने की। आप भ्रष्टाचार को पिछले 70 साल से कम करते आ रहे हैं, लेकिन वह कम नहीं हुआ। अब उसे कम करने की बजाए बढ़ा देना चाहिए। अब भ्रष्टाचार बढ़ाना आसान हो गया है। व्यापक घोटाला करो और भूल जाओ। अगर नहीं भूले तो दुनिया भूल जाओ। घोटाला, भ्रष्टाचार को बढ़ावा हम नहीं दे सकते हैं, यह जिम्मेदारी पहले नेताओं पर थी अब अधिकारियों ने ले ली है। जिनको भ्रष्टाचार समाप्त करने की जिम्मेदारी सौंपी थी, उन्होंने खुद भ्रष्टाचार को पैदा करने, उसे बढ़ाने के लिए कई प्रोत्साहन योजनाएं शुरू कर दी हैं। भ्रष्टाचार करिए, रिश्वत खाइए, लम्बे सलाम की तरह लम्बी डकार लीजिए और जब आप पकड़े जाएं तो आपके साथी ज़िंदाबाद। वे आपका सपोर्ट करेंगे। आपके हित में अपना हित देखेंगे।
नई परम्परा के अनुसार अब नारे कुछ इस प्रकार के होंगे। देश में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है, भ्रष्टाचार से देश का विकास हो रहा है, भ्रष्टाचार से शहर का विकास करिए, अपने गांव को खुशहाल बनाने के लिए भ्रष्टाचार नीति को प्रोत्साहन दीजिए, सड़क सुधार, नदी जल योजना को सुचारू चलाने के लिए भ्रष्टाचार को अपनाइए, शिक्षकों की भर्ती में भ्रष्टाचार के तरीके अपनाइए। वकील बनने से पहले भ्रष्टाचार का ज्ञान बढ़ाये, भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए विशेष क्लास लें और बाद में दें।
देश बदल रहा है। अब ईमानदार देश भी बदल रहा है। देशद्रोह का प्रशिक्षण जिस तरह कॉलेजों में दिया जा रहा है, उसी प्रकार भ्रष्टाचार पर भी कॉलेजों में सेमीनार/गोष्ठियां होनी चाहिए। जिस प्रकार कवियों, लेखकों, फिल्मकारों को पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं, उनके लिए नए-नए पुरस्कार देने वाले संस्थान सामने आ रहे हैं, उसी प्रकार भ्रष्टाचारियों के लिए प्रोत्साहन पुरस्कार से लेकर प्रथम और द्वितीय पुरस्कार होना चाहिए। पद्म भूषण, विभूषण सहित खेल रत्न, भारत रत्न की तर्ज पर भ्रष्टाचार रत्न, भ्रष्टाचार महारत्न, भ्रष्टतम महारत्न के पुरस्कार सरकार की ओर से प्रति वर्ष घोषित किए जाने चाहिए। इस क्षेत्र में भ्रष्ट नीति बनाने वाले और क्रियान्वित करने वालों को नोबल पुरस्कार दिया जाना चाहिए। जिन्होंने अपना पूरा जीवन भ्रष्ट तरीके अपनाने और प्रेरित करने में खपा दिया है, उन्हें भ्रष्टाचार लाइफ टाइम एचिवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए।
ऐसा जब भ्रष्टाचार होगा तो कोई फंस भी जाएगा। उसके रिश्तेदार भी उसमें शामिल होंगे, फिर उन्हें बचाने के लिए हम मानव श्रृंखला बनायेंगे और उसे बचाने की हर संभव कोशिश भी करेंगे। इसके लिए होम किए जाने चाहिए, जिसके अंत में कहा जाएगा-ओम श्री भ्रष्टाचाराय नम: