Site icon Youth Ki Awaaz

साहब आपका दिव्यांग बोलना भी बस जुमला ही था क्या?

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने हंसते-हंसते कहा, ‘100 लंगड़े मिलकर भी एक पहलवान नहीं बन सकते हैं।’ पूरा विकलांग समाज स्तब्ध हो गया। क्योंकि एक तरफ माननीय प्रधानमंत्री जी कहते हैं विकलांग भी नहीं कहिए, ‘दिव्यांग’ कहिये। और दूसरी तरफ गरीबों-मजलूमों की राजनीति करने का दंभ भरने वाले केंद्रीय मंत्री ने सरेआम, बेहद बेहूदगी से पूरे विकलांग समाज को अपमानित किया है। इतना ही नहीं, ‘पहलवान नहीं बन सकते’ कहकर क्षमता पर प्रश्नचिन्ह भी लगा दिया।

मंत्री जी, आपके बड़े-बड़े पहलवान, या 100 पहलवान मिलकर भी वो काम नहीं कर सकते हैं, जो ‘विकलांग’ समाज के लोग कर दिखा रहे हैं। आपने बड़ी सहजता के साथ हमें अपमानित कर दिया और खेद भी नहीं जताया, सिर्फ इसलिए की ये तो समाज की सबसे कमजोर लोग हैं। कितना भी गरिया दो कौन सा कोई विरोध करने वाला है।

आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी, आप तो हमें ‘दिव्यांग’ कहते हैं। क्या ये भी सिर्फ ‘जुमला’ था? जब आपने हमें ‘दिव्यांग’ कहा, हमने विरोध किया था कि आप हमें ‘विकलांग’ ही रहने दीजिए। पर अब तो ‘विकलांग-दिव्यांग’ से कहीं आगे बढ़कर आपके मंत्री ने हमे ‘लंगड़ा’ औऱ असहाय बता दिया है। अगर आप ने इन मंत्री के खिलाफ कुछ नहीं किया और ऐसे ही चुप रहे, तो बहुत खेद के साथ हमें कहना पड़ेगा कि सत्ता की ‘विकलांगता’ से हम ‘विकलांग’ कहीं बेहतर हैं।

Exit mobile version