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मैं तो जॉनी लीवर बनूंगा।

मैं तो जॉनी लीवर बनूंगा।
सुनील जैन ”राही”
एम-9810 960 285
दो महीने काम करते और दस महीने बैठकर खाते। कोई ऐसा धंधा करो जिसमें काम नहीं करना पड़े। बस थोड़ा सा दिमाग चलाया और धंधा शुरू। मार्च के महीने में एक धंधे का बड़ा जोर रहता है। सजग लोग इसकी तैयारी पहले से शुरू कर देते हैं। कुछ इस धंधे में पारंगत माने जाते हैं। अब तो लोग विदेशों से यहां प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं। यह धंधा देश के हर हिस्‍से में चलता है, लेकिन कुछ ही हिस्‍सों में इस धंधे को शोहरत मिली है। यों कह लीजिए कि मीडिया के पास जब खबर नहीं होती तो बिहार, उत्‍तर प्रदेश की पुरानी नकल की खबरों को स्‍क्रीन से पाट देते हैं।
इस धंधे को शोहरत दिलाने में मुन्‍ना भाई एम बी बी एस ने काफी अहम भूमिका निभाई है। नयी टैक्‍नोलॉजी का कैसे उपयोग किया जाता है। यह तकनीक भी मेड इन इंडिया और कारगर साबित हुई। अब नकल करते पकड़े जाने पर आपको नकलची बन्‍दर नहीं, बल्कि मुन्‍ना भाई करके संबोधित करता है। खबर छपती है, पांच मुन्‍ना भाई पकड़े गए। अब नकल करना पदमश्री मिलने जैसा है। रात-रात भर जागकर तो गधे भी पास हो जाते है, डिग्री पा लेते हैं, लेकिन नकल करके पास करने का मजा ही कुछ और है। जब लड़के की सगाई वाले आते हैं और पूछते हैं? आपका बेटा क्‍या करता है, आप बड़े गर्व से कहते हैं, नकल करता है। जैसे जानी लीवर नकल करता है। अब तो उसका बिजनेस फैल गया है, वह दूसरों को भी नकल करवाता है। नकल कराने के ठेके लेता है। पिछले साल दो कस्‍बों का ठेका मिला था। पिछले साल उसने 500 विद्यार्थियों का नदिया पार किया था। नदिया पार करना यानी नकल से पास करवाना। यह मुहावरा हमारे यहां प्रचलन में तब आया जब पंडित जी ने कहा था, वैतरणी पार करा दूंगा। दक्षिणा से जेब भर दो। तभी से झम्‍मन भाई कहने लगे हैं-नदिया पार करवा दूंगा हरे नोटों से जेब भर दो।
हर कोई छुटभैयों के पीछे पड़ा रहता है। हमारी फोटों को बड़ा करके दिखाते हैं। हमारे पीछे सूंघते फिरते हैं। हमारा एक लौंडा नकल करते पकड़ा जाता है तो उसको जिलाबदर करने की बात जोर-जोर से गला फाड़-फाड़ कर दिखाते हैं। अगर हिम्‍मत है व्‍यापम की खबर दिखाओ, हो सकता है वह आपकी ही आखिरी खबर बन जाए।
इसे लोग नकल का धंधा कहते हैं। अरे भाई नकल भी अकल से की जाती है, जिसे नकल करना नहीं आता वह टॉपर नहीं बन पाता, वह बस 40 से 45 प्रतिशत की अंकों में पड़ा रहता है।
इस धंधे को चलाने के लिए आपके पास अकल/चाकू/रिवाल्‍वर के अलावा सबसे बड़ी चीज है, अफवाह फैलाने वाले लोग चाहिए जो यह होस्‍टल दर होस्‍टल फैला सकें कि झम्‍मन बाबू के पास इस साल के पेपर आने वाले हैं। बस जैसे ही खबर फैली। झम्‍मन बाबू के बल्‍ले-बल्‍ले। झम्‍मन बाबू के पास हर साल पेपर कहां से आ जाते हैं। झम्‍मन भी कम उस्‍ताद नहीं हैं। पांच साल के पेपर इकटठे किए और सबको मिलाकर एक बना दिया। यह तो तय है पांच साल में से ही कुछ न कुछ आएगा। 50 परसेंट आ गया तो भी झम्‍मन बाबू की बल्‍ले-बल्‍ले और दस प्रतिशत भी नहीं आए तो भी बल्‍ले-बल्‍ले। जब तक पेपर आते हैं, तब तक झम्‍मन अपनी पूरी कमाई कर चुके होते हैं। अब आए तो ठीक न आए तो ठीक।
एक और तरीके से नकल कराई जाती है। आप कॉपी खाली छोड़ दीजिए पास हो गए। कैसे? ये तो करवाने वाले जाने। दूसरा तरीका किताब खोली और मास्‍टर को धमका दिया-इस साल आपका बेटा कॉलेज में जा रहा है, आप हमारा ध्‍यान रखें नहीं तो हम उसे देख लेंगे। अब तो नकल से पी एचडी करना भी आसान है।
मीडिया वाले धूल झाड़ कर हर साल बिहार और उत्‍तर प्रदेश की सामूहिक नकल करते हर चौथे दिन मीडिया में पेल देते हैं। वे भी बिचारे क्‍या करें। कुछ है ही नहीं। चुनाव हो गए। रिजल्‍ट आ गया। विपक्ष धराशायी पड़ा है। पक्ष के पक्ष में बोलना कोई न्‍यूज नहीं होती। वैसे भी यह मौसम तो परीक्षा का है। इसमें दूसरी न्‍यूज कौन सुनेगा।
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