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जम्मू की रजनी ने दिखाया कि सरकारी स्कूलों में भी पा सकते हैं सफलता

जम्मू राज्य के कठुआ जिले में 10 मार्च को डाईट बसोहली द्वारा आठवीं कक्षा का परिणाम घोषित किया जा चुका है। जिसमें पहली दस पोजीशन पर निजि स्कूलों के विद्यार्थियों ने कब्जा जमाया हुआ है और इनमें छात्राओं का दबदबा कायम है। वहीं पिछले वर्ष की तरह इस बार भी सिर्फ एक पोजीशन राजकीय (सरकारी) स्कूल के हिस्से आई है। राजकीय हाई स्कूल चड़वाल की छात्रा रजनी कुमारी ने नौवीं पोजीशन पर अपना नाम दर्ज करवाया है। इस खुशी का आलम पूरे चड़वाल में देखने का मिला। परीक्षा का परिणाम को देख कर कुछ सवाल भी ज़हन में आते है कि आखिर इतना बेहतर स्टाफ और इतने ज़्यादा साधन व सुविधाएं होने के बाद भी आखिर क्यों राजकीय स्कूल के विद्यार्थी पीछे रह रहे हैं?

वहीं बात अगर कुल परीक्षा परिणाम की करें तो निजि स्कूलों का कुल परिणाम 99.34 प्रतिशत जबकि राजकीय स्कूलों का कुल परिणाम 87.42 प्रतिशत रहा। लेकिन मेरिटोरियस लिस्ट में जगह बनाने में राजकीय स्कूल इस बार भी नाकाबिल साबित हुए हैं। इसके पीछे क्या कारण रहे हैं, यह तो ये शिक्षा विभाग, राजकीय शिक्षक व नीति-निर्माता ही बता सकते हैं और इस बारे में जनता को भी बताया जाना चाहिए।

आज यहां एक तरफ अभिभावकों में अपने बच्चे को महंगें से महंगे निजी स्कूल में दाखिला करवाने की होड़ लगी है। माता-पिता शिक्षा पर लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं ताकि उनके बच्चे अच्छे नंबर लेकर पास हों और वर्तमान प्रतिस्पर्धा में प्रतिभागी बन सकें। लेकिन रजनी ने सरकारी स्कूल में ही पढ़ कर अपनी मेहनत के बल पर ये साबित किया है कि राजकीय स्कूल में पढ़ कर भी अच्छे अंक लाये जा सकते हैं। दिन-ब-दिन गरीबों से दूर होती शिक्षा को चुनौती देते हुए इस छात्रा की मेहनत और बुलंद हौंसले ने राजकीय स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को रोशनी दिखाई है। उसने सिर्फ विद्यार्थियों के लिए ही नहीं, बल्कि शिक्षकों, शिक्षा विभाग व नीति-निर्माताओं को भी संदेश दिया है कि राजकीय स्कूलों में हुनर की कमी नहीं है।

यदि सरकार द्वारा शिक्षा सही से व्यवस्थित की जाए तो राजकीय और निजी स्कूल का भेद ही खत्म हो जाए। वैसे तो राजकीय स्कूलों में शैक्षिक स्तर पर सुविधायों की कोई कमी नहीं होती है। यहां उच्च-शिक्षा प्राप्त शिक्षक होते हैं। विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ खेल तथा अन्य गतिविधियों में हिस्सा लेने के मौके मिलते हैं। पर कहीं न कहीं अच्छे अंक न लाने को लेकर एक निराशा सी राजकीय स्कूलों में बनी हुई थी, जिसे इस छात्रा रजनी ने आशा में बदला है।

रजनी ने साबित कर दिया है कि जिनके हौंसले बुलंद होते है, वो मुश्किलों से घबराते नहीं और सफलता को उनके आगे झुकना ही पड़ता है। ये रजनी की मेहनत का ही नतीजा है कि अब प्रभुत्वशाली लोग, नेता, बड़े-बड़े अधिकारी, मीडिया अब उनके दरवाजे पर दस्तक देगें व छात्रा की इस मेहनत में अपना भी नाम जोड़ना चाहेगें। बताते चले कि पिछले वर्ष जम्मू प्रान्त के कठुआ जिले में राजकीय हाई स्कूल कूटा की आरती ने सातवीं पोजीशन हासिल की थी।

वहीं राजकीय हाई स्कूल चड़वाल की छात्रा रजनी कुमारी का परिवार बेटी की पोजिशन से बेहद खुश है। इस खुशी का आलम पूरे चड़वाल में ही देखने का मिला। बातचीत के दौरान रजनी की मां ने बताया कि बेटी के अच्छे नंबर लाने पर पूरे घर में ही खुशी का महौल है। उन्होंने बताया कि उनके पिता मजदूर है और बस किसी तरह का घर का गुज़ारा ही चलता है। रजनी की मां ने बताया कि रजनी बहुत मेहनती है और अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी के साथ निभाती है।

उन्होंने बताया कि वह अक्सर पढ़ती रहती है। परीक्षा के दिनों में उसे अपनी पढ़ाई की बेहद चिंता रहती थी। उन्होंने बताया कि रजनी की एक बड़ी बहन और एक बड़ा भाई  भी है लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। बड़े भाई-बहन तो नही पढ़ पा रहे है लेकिन रजनी को पढ़ने के लिए सहयोग कर रहे है। वहीं रजनी ने बताया कि परीक्षा के दिनों में उसने खूब मेहनत की थी। उसने कहा कि उसे ये तो पता है कि अच्छे नंबर आऐंगे पर पोजीशन में नाम आएगा, ऐसा नही सोचा था। उसने कहा कि पोजीशन में अपना नाम देखकर उसे बेहद खुशी हुई है। रजनी ने बताया कि उसे पढ़ना और डांस करना बेहद अच्छा लगता है और वे आगे चल उच्च शिक्षा हासिल करना चाहती है।

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