16 फरवरी 2017 को शीरोज़ कैफ़े लखनऊ को स्पीड पोस्ट के मार्फ़त एक धमकी भरा पत्र मिला था, जिसमें लिखा था कि ”अगर विमला की मदद की तो उसके शरीर में ख़ून की जगह एसिड दौड़ेगा।” छांव फाउंडेशन की टीम ने पुलिस, प्रशासन से मदद की गुहार की और पुनः केस दर्ज कर दिया गया। पुलिस ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने का आश्वासन दिया था मगर यह महज़ आश्वासन ही रहा। किसे पता था कि इतने नाटकीय ढंग से धमकी देने वाले लोग इतने सनकी होंगे कि सच में विमला के शरीर में तेज़ाब दौड़ाने की हरक़त को अंजाम दे देंगे।
विमला 10 मार्च को लखनऊ से अपने घर ऊँचाहार (रायबरेली) होली की छुट्टी में गयी थी। 23 मार्च को वहां से लौटते हुए ट्रेन के लखनऊ पहुंचने से कुछ देर पहले ही 2 लोगों ने उन्हें धर दबोचा। 1 ने उनके हाथ और बाल पकड़े और दूसरे ने एसिड की बोतल उनके मुंह में ठूंस दी। विमला ने बचने व चिल्लाने की कोशिश की मगर तेज़ाब गले से उतर जाने के चलते वे तेज़ नहीं बोल पाई। चारबाग़ स्टेशन पर ट्रेन पहुंचने पर जब वो उतरी तो प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर जाकर गिर गई, जहां से लोग उन्हें उठाकर जीआरपी थाने ले गए और महिला कांस्टेबल ने उनकी मदद करते हुए उन्हें ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया।
विमला 3 बार की गैंग रेप सर्वाइवर और 3 बार की एसिड अटैक सर्वाइवर हैं। उनके साथ पहली बार गैंगरेप की वारदात 2008 में हुई थी और ये सभी केसेज़ दर्ज होने के बावजूद आज तक एक भी अपराधी नहीं पकड़ा गया है। विमला से नवम्बर महीने में हुई बातचीत में उन्होंने बताया था कि ये गांव के दबंग और ऊंची जाति के लोग हैं।
इससे पहले, समय-समय पर विमला इन अपराधियों से मिलने वाली धमकियों को लेकर गुहार लगाती रही हैं। इस दस्तावेज़ की तस्वीर में आप देख सकते हैं कि 23-मई 2013 को भी उन्होंने सभी मुकदमों का ज़िक्र करते हुए अपनी जान का खतरा होने की बात कही है और इन सभी मामलों की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग की है। लेकिन उनकी इन तमाम कोशिशों का कोई फायदा नहीं हुआ और अपराधियों ने न्यायव्यवस्था का मखौल उड़ाते हुए सरेआम वो कर दिखाया जिसकी उन्होंने धमकी दी थी।
इसी बीच खबर ये भी आई है कि उत्तर प्रदेश के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज विमला का हाल चाल लेने ट्रामा सेंटर पहुंचे। साथ ही मुख्यमंत्री ने पुलिस को हमलावरों को जल्द से जल्द पकड़ने के निर्देश भी दिए।