पूर्वांचल में सियासी जमीन तलाश रही भाजपा-अपना दल गठबंधन, को मतदान से ठीक कुछ ही दिन पहले करारा झटका लगा है। अपना दल की मऊ जिला की पूरी इकाई समाजवादी पार्टी में शामिल हो गई है।
पूर्वांचल के कद्दावर कुर्मी नेता और अपना दल के मऊ जिलाध्यक्ष आनंद प्रताप सिंह पटेल ने अपनी पार्टी के कामकाज से नाराज़गी जताते हुए पूरी जिला इकाई का समाजवादी पार्टी में विलय करा दिया। श्री पटेल ने अपने समर्थकों से कहा है कि वो आने वाले मतदान में समाजवादी पार्टी को वोट देकर भारी मतों से विजयी बनाएं।
अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को भेजे अपने त्यागपत्र में आनंद प्रताप सिंह पटेल ने पार्टी में टिकट बँटवारों में खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया। साथ ही केंद्र की मोदी सरकार की भी उन्होंने कड़ी आलोचना की है और कहा है कि भाजपा सरकार सिवाय जुमलेबाजी के, कुछ भी नहीं कर सकी है।
आनंद प्रताप सिंह पटेल ने बताया है कि उनके साथ जनपद की सभी इकाइयां- युवा मंच, किसान मंच, अधिवक्ता सभा, किसान सभा और महिला सभा का भी समाजवादी पार्टी में विलय हो गया है। श्री पटेल ने कहा है कि वे सपा उम्मीदवारों के प्रचार के लिए पूर्वांचल यात्रा पर निकल रहे हैं।
अपना दल की मऊ जनपद की इकाई की बगावत से इलाके के जातीय समीकरण पर बड़ा असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। गाजीपुर, मऊ, बलिया, गोरखपुर जैसे जिलों में कुर्मी जाति की आबादी काफी ज़्यादा है, और अपना दल के जरिए ये वोट भाजपा गठबंधन को जाने लगे थे, जिससे समाजवादी पार्टी को काफी नुकसान होता था। अब समाजवादी पार्टी एकदम से एडवांटेज की स्थिति में आ गई है।
ये कहावत रही है कि जिस तरह से दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है, उसी तरह से लखनऊ का रास्ता पूर्वांचल से होकर गुजरता है। पूर्वांचल में कुल 170 सीटें पड़ती हैं, जिनमें से समाजवादी पार्टी को 2012 के विधानसभा चुनावों में 106 पर जीत मिली थी, और कांग्रेस को 11 सीटों पर फतह हासिल हुई थी। सपा-कांग्रेस गठबंधन को पूर्वांचल में यादव-मुस्लिम वोटों के साथ-साथ सवर्ण वोटों का बड़ा हिस्सा मिलने की उम्मीद तो थी, लेकिन कुर्मी वोटों पर अपना दल और अनुप्रिया पटेल का प्रभाव उसका जनाधार बढ़ने से रोक रहा था। इस मायने में देखा जाए तो सपा को बड़ी सफलता मिल गई है।
वर्तमान में छठे और सातवें चरण के मतदान में पूर्वांचल में क्रमश: 49 और 40 विधानसभा सीटें शामिल हैं, जिन पर कुर्मी वोट खासा असर डाल सकते हैं। छठे चरण में 4 मार्च को महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ और बलिया जिलों में वोट पड़ने हैं, और सातवें चरण में 8 मार्च को गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्र और जौनपुर जिलों में वोट डाले जाएंगे। आमतौर पर यादव और कुर्मी वोट एक साथ जब भी सपा को मिले तो उसकी स्थिति अच्छी ही रही है।
कांग्रेस का भी आधार कुशीनगर में मजबूत है क्योंकि उसके पास आरपीएन सिंह के रूप में एक ताकतवर और लोकप्रिय नेता मौजूद है। मायावती ने कौमी एकता दल के मुख्तार अन्सारी को साथ लेकर मुस्लिम वोटों पर सेंधमारी की थी, जिसकी काट समाजवादी पार्टी ने अफजल अन्सारी के रूप में पसमांदा मुस्लिम नेता को खड़ा करके निकालने की कोशिश की है, पर अब कुर्मी नेता के रूप में आनंद प्रताप सिंह पटेल उसके साथ आ जाने से सपा एकदम ताकतवर दिखने लगी है।