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झारखंड में कोल ब्लास्ट के चलते ढह रहे हैं स्कूल

भारी-भरकम शब्दों के साथ कोल इंडिया लिमिटेड की सब्सिडियरी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) की वेबसाइट पर कंपनी का लक्ष्य कुछ इस तरह से लिखा गया है- “कोल इण्डिया लिमिटेड का लक्ष्य सुरक्षा, संरक्षण एवं गुणवत्ता को सम्यक प्रतिष्ठा प्रदान करते हुए दक्षतापूर्वक और मितव्ययिता के साथ पर्यावरण के अनुकुल योजनाबद्ध परिमाण में कोयला एवं कोयला उत्पाद का उत्पादन एवं विपणन करना है।” इसमें कुछ समझ में आए ना आए, लेकिन सुरक्षा और कोल माइंस का सम्बन्ध हम सभी समझ सकते हैं, जो सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण भी है। और सुरक्षा के दायरे में केवल माइंस में काम करने वाले श्रमिक ही नहीं, उस क्षेत्र में रहने वाले लोग भी आते हैं।

वीडियो वोलेंटियर की यह रिपोर्ट देख कर ऐसा लगता नहीं है कि खुद को मिनी रत्न कहने वाली BCCL के लिए सुरक्षा कोई ख़ास मायने रखती है। ये कहानी है कुजामा धनबाद, झारखण्ड की जहां कोयला खदानों में होने वाले ब्लास्ट्स में नियमों का पालन सही से नहीं हो रहा है। परिणाम स्कूल की इमारत में दरारें, छत के प्लास्टर का झड़ना- कुल मिलाकर ऐसी इमारत जो कभी भी गिर सकती है, जहां आप नहीं चाहेंगे कि आपके बच्चे पढ़ें। देखिए ये रिपोर्ट जो शिक्षा और खनन दोनों ही विभागों के निकम्मेपन और स्थानीय निवासियों की परेशानी की दास्तान कह रही है।

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