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गाज़ीपुर बस स्टॉप से बस लेना मतलब खतरों का खिलाड़ी बनना है

सुबह उठ के एक नई शुरुआत करने आप निकलते ही हैं कि जान पर बन जाए तो पूरा दिन कैसा गुज़रता होगा ये आप सोच ही सकते हैं। और अगर ऐसा किसी और की हरकत की वजह से हो तो आक्रोश भी जायज़ है। ये जो तस्वीरें आप देख पा रहे हैं वो 9 बजे की ली हुई है । फ़ोन उतना हाईटेक नहीं है इसलिए धुंधली सी तस्वीर है।

ये है गाज़ीपुर डिपो का दृश्य। आनंद विहार बस अड्डो के पास। यहाँ आप कभी भी चले जाइये, आपको बस पकड़ने के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी ही पड़ेगी। तरीके से तो जो सफ़ेद रंग से चिन्हित जगह तस्वीर में दिख रही है, बस को वहाँ आकर रुकना चाहिए, यात्रियों को आगे वाले निकास से निकलना चाहिए और पीछे वाले दरवाज़े से चढ़ना चाहिए । जब सवारी आराम से उतर और चढ़ जाए तब जाके बस के चालक को बस आगे बढ़ाना चाहिए । ख़ैर ऐसा तो दिल्ली भर में कहीं भी नहीं होता है । भारत के किसी और प्रांत में कहीं होता हो तो मुझे उसका बोध नहीं है।

गाज़ीपुर डिपो पर समस्या ऑटो और प्राइवेट बसों की वजह से ज़्यादा हो जाती है। ये लोग आकर उस चिन्हित स्थान पर खड़े हो जाते हैं, जिसकी वजह से DTC की बस पकड़ने वालों ( अधिकाँश यात्री ) को या तो भागना पड़ता है या फिर बीच रास्ते में खड़े होकर इंतज़ार करना पड़ता है। जिसमें राह पर आने जाने वाहन से दुर्घटनाग्रस्त होने का ख़तरा बढ़ जाता है।

बस स्टॉप इसीलिए बनाए गए हैं कि लोग सुरक्षित तरीके से बस का इंतज़ार करें। पर गाज़ीपुर डिपो के सामने एकदम उलट स्थिति है, रोड ही बस स्टॉप है। और बस स्टॉप ही हर तरह का स्टॉप, जिसका दिल चाहे बीच में रोक देता है और बसों के आवागमन को थाम देता है। बस वाले इंतज़ार नहीं करते और धीमी गति में बस को निकाल ले जाते हैं । उनको भी क्या ही दोषी ठहराया जाए। अगर ऐसे ही बीच रोड पे बस रोकते फिरेंगे तो जाम न लग जाएगा ?

कई बार लोगों की बस भी इसी वजह से छूट जाती है। जान जोखिम में डाल कर बस पकड़ने से बढ़िया है की 5 मिनट इंतज़ार ही कर लो। गाज़ीपुर डिपो से 543A पकड़ कर आप नेहरु नगर तक का सफ़र तय कर लीजिए, आपको ऐसी स्थिति कहीं नहीं मिलेगी।

हर जगह पुलिस तैनात नहीं रह सकती। ऑटो चालकों को सिर्फ अपना फायदा न देख कर आम आदमी की समस्याओं को भी समझना चाहिए । बस स्टॉप ऑटो को रोक कर सवारी बिठाने का स्थान नहीं होता है । प्राइवेट बस चालाक भी जिस तरह से बस स्टॉप के सामने बस लाकर लगा देते हैं और फिर 1 मिनट तक सवारी को बुलाते रहते हैं उससे DTC की बसों के आवागमन और अन्य वाहनों की आवाजाही में अवरोध उत्पन्न होता है।

ये रिपोर्ट Youth Ki Awaaz के इंटर्न श्रेयस, (बैच-फरवरी-मार्च,2017) ने तैयार की है।

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