8 मार्च…… . तारीख याद है ना? नहीं?
याद भी कैसे होगी क्योंकि इस दिन प्रेम दिवस नहीं होता और न ही आपके “शोना-बेबी” का बर्थडे..
ख़ैर ये गलत नहीं और ना ही इसमे शर्म आने जैसा कुछ है लेकिन यदि आपको ये याद है कि फरवरी के दूसरे हफ्ते में किस दिन अपने शोना -बेबी को क्या देना है लेकिन ये नहीं जानते हैं कि टेसी थॉमस कौन है तो ये शर्म की बात है….. यदि आप विराट कोहली की फोटो पर “??❤” ऐसे कमेंट करते नहीं थकते, लेकिन नहीं जानते कि मिताली राज कौन है….. तो ये भी शर्म की बात है….
और अगर मैरी कॉम आपके लिए केवल एक बॉलीवुड फ़िल्म का नाम है तो ये तो शर्म से डूब मरने वाली बात है…
ख़ैर छोड़िए जितनी तो बाते हैं कि शर्म कम पड़ जाएगी…
बात कर रहे थे 8 मार्च की… किसी भूले – भटके whatsapp के मैसेज़ या fb के पोस्ट से ये तो जान ही गए होंगे आप की आज “women’s day” बोले तो महिला दिवस है…
साल के 365 दिनों में से केवल एक दिन महिला दिवस?
ये तो रोते हुए बच्चे के मुह में लॉलीपॉप देने जैसा है..
एक दिन महिला दिवस मना कर महिलाये खुद को सशक्त, सुरक्षित और अज़ाद मान लेती है…
और तो और तिरछी नज़रों से लड़कियों को ऊपर से नीचे तक स्कैन कर लेने वाले लड़के भी लंबी लंबी पोस्ट लिख कर “respect women” जैसी आश्चर्यजनक बाते करते दिख जाएंगे…हाँ आश्चर्यजनक क्योंकि इन लोगो को साल के बचे हुए 364 दिन में अगर औरत में माँ – बहन नज़र आती भी है तो गाली के रूप में.. लेकिन फिर अचानक एक दिन.. इनकी इंसानियत जागती है और मन मे दबी करुणा उबाल मारने लगती है।
दुख इस बात का नहीं कि ये करुणा सिर्फ साल में एक बार उबाल मारती है, रोना तो इस बात का है कि ये एक दिन वाली करुणा उबाल मारती भी है तो सिर्फ सोशल मीडिया पर।
अगर ये copy paste वाला ऑप्शन नहीं होता ना, तो सोशल मीडिया की आधी से ज्यादा आबादी केवल “happy women’s day” बोल कर ही संतुष्ट हो लेती..
इतनी जल्दी तो Eno भी असर नहीं दिखाता जितना असर इस “women’s day” वाले lollipop में है, इसके आते ही औरते खुद को सर्वशक्तिमान महसूस करती हैं।
“नारी तुम सर्वशक्तिमान हो,सेहेनशीलता की मूरत हो”
ऐसी बाते इतना आत्मविश्वास भर देती है इनमे की वो बाकी के दिनो के अत्याचार, भद्दे कमेंट, sexist-जोकसॅ, rape जोकसॅ सब झेलने के लिए सबल एवं सशक्त महसूस करती हैं।
यदि किसी औरत ने आपत्ति जताई तो वो 8 मार्च की “respect women” वाली ब्रिगेड द्वारा feminazi या anti-men घोषित कर दी जाती है।
ये कुछ ऐसा ही है कि “सम्मान चाहिए तो 8 मार्च तक का इंतज़ार करना पड़ेगा.. तुम लोगो को तो इसी बात की संतुष्टि होनी चाहिए कि कम से कम एक दिन तो सम्मान मिल रहा है” भले से वो सम्मान केवल सोशल मीडिया पर ही दिखाई दे!!
Happy women’s day??