पहली मोहब्बत फिल्मिया ढोंग है महज …
इश्क तो आखिरी बेहतर है जिसके बाद किसी और की जगह न हो ..हॉ और आखिरी ..जो चाहि़ये बस तुमसे ही ..तुम्हारा सरनेम फेवरेट है हमारा ,अपने नाम के साथ जोड़कर भवि
याद है न तुम सुनाये थे रात मे दो बजे –
“पल भर न दूरी सहे आपसे बेचैनियॉ ये कुछ और है”
यकीन मानो तबसे ही तुम हमारे अक्की हो गये हो और हम तुम्हारी इलियाना …रोये थे हम रात भर …और कर लिये थे प्यार …हॉ आखिरी वाला ही ..!
और सुनो तुम करियर बनाओ ,पढ़ाई करो…हम इंतजार कर लेंगे..पर ध्यान रहे ये दोस्ती ये लगाव कम न हो ..इश्क तो जबरदस्ती करवा नही सकते वरना कान खींच के करवा लेते !
और हॉ …तुम हो जिसने वजह दी है जिन्दा रहने की तो दिल से शुक्रिया …वो क्या बोलते हो ?
हॉ यही-
दिल से शुक्रिया जान
Muneer Khan (Birla Institute)