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रवीश कुमार की साधारण पत्रकारिता

कपड़ों की दुकान पर दुकान मालिक अगर खुद आपको कपड़ों को ख़रीदने से मना कर दे तो तहज्जूब हर किसीको होगा उसी तरह कोई न्यूज़ एंकर अगर आपको न्यूज़ देखने से मना कर दे तो भी आप कुछ पल के विचार मे पड़ जायेंगे हो सकता है कुछ पल के लिये आपको उसमे गुरुर दिखे और आप सच मे वो चॅनेल ना देखे लेकिन बात जब रवीश कुमार की हो तो वो चाहे खुद बोल दे की उसका चॅनेल ना देखे फिर भी आपका लौटना तय है अब इसे आप गुरुर नहीँ कह सकते क्योंकि ये सच्चाई है और हम तो बचपन से सुनते आये है की सच को किसीका डर नहीँ होता और ना ही झूठो की ज़रूरत .
जहां एक तरफ बाकी चॅनेल TRP के लिये मरे जा रहे है वही ये आपको कहता है केबल कनेक्शन बंद करके अपने पैसे बचाईये,ब्रेक के बाद जहां एंकर आपको प्यारे से अंदाज मे बने रहने के लिये बोलती है वही ये कहता है आपको लगे तो आइये या फ़िर कोई और चॅनेल देख लीजिये आज जहां पूरी मीडिया क्रेडिबिलिटी की रेस मे पागलों की तरह दौड़ रही है ये आपको कहता है की मीडिया पर भरोसा कम कीजिये.इन सबके बावज़ूद वो उसी मिडिया मे काम करता है जिसकी वो बुराई करता है हद तो देखिये लोग फ़िर भी उसे देखने सुनने के लिये तरसते है इसकी वजह सिर्फ़ एक है और वो है वो उसकी सच्चाई और उसका वो जमीर जो उसे गलत करने से रोकता है

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