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शिक्षण कार्य या धंधा

आज कल लोगो में शिक्षा को लेकर रुझान बहुत है। हर कोई अब पढ़ा लिखा और शिक्षित होना चाहता है, गांव गांव में लड़के लड़किया सब स्कूल जाते है पढ़ लिख के कुछ बनना चाहते है।।

हमारे देश की सरकार ने बहुत से अभियान चला के लोगो में जागरूकता पैदा की है, सर्व शिक्षा अभियान सब पढ़े सब बढ़ें और बेटी बचाओ बेटी बचाओ आदि अनेक उदाहरण है।

पर सवाल उठता है कि अच्छी तालीम अच्छी शिक्षा कैसे प्राप्त होगी। क्या अच्छी शिक्षा का अभिप्राय बड़े शिक्षण संस्थानों से है।। क्या बड़े महंगे शिक्षण संस्थानों में ही अच्छी तालीम दी जाती है। आज कल शिक्षण कार्य एक सेवा भाव नही बल्कि व्यापार बनता जा रहा है।। बड़े बड़े महंगे स्कूल बच्चों को शिक्षित बनाने के लिएन्हि बल्कि अच्छी खासी कमाई करने के लिए खोले जाते हैं। तालीम तो जैसे बाज़ार में बिकती है और सबका अपना अपना मेन्यु कार्ड है।

इंजीनियरिंग के कोर्स के लिए 8 से 10 लाख

डॉक्टरी के लिए 12 से 15 लाख़

यहाँ तक की वकालत, पत्रकारिता और कला अभिनय का भी रेट कार्ड बहुत बड़ा है। और तो और बारहवीं तक की पढ़ाई की तो पूछो ही मत अगर सरकारी स्कूल में गए तो ठीक है वरना कही प्राइवेट या कान्वेंट में गए तो ज़मीन का टुकड़ा तो गिरवीं रखना ही पड़ेगा। एग्जाम फीस,कॉशन फीस, प्रेक्टिकल फीस और भी नाना प्रकार के फीस लगा कर मोती रकम वसूल हो जाती है।अब तो नर्सरी में दाखिले में भी बहुत पैसा लग जाता है।

मेरे पड़ोस में रहती है एक 3 साल की नव्या जो अभी कुछ दिनों से एक डे केअर स्कूल में जाती है जहाँ उसको एक दिन में एक अक्षर सिखाया जाता है या शायद वो भी नही। उसके addmission के लिए 20000 और बुक कॉपी ड्रेस के लिए 5000 अलग से देने पड़े। अब सवाल ये उठता है कि 200rs वाले स्कूल में क्या A for elephant होता है 20000 वाले में apple? या दोनों जगह हिंदी इंग्लिश एक मायने बदल जाते है।।

आज कल हर कोई पढ़ना चाहता है कुछ बनने का सपना देखता है।पर 70 प्रतिशत लोग आपनी इच्छा से पढ़ाई या कोर्स नही कर पाते क्योंकि वो इतने सक्षम नही हैं कि उस कोर्स की फीस वो भर सके। बहुत से लोग डॉक्टरी,इंजीनियरिंग, पत्रकारिता, कला अभिनय आदि जैसी एक्षिक पढ़ाई धन के अभाव में छोड़ देते है।।।

आखिर कब तक शिक्षा इतनी महंगी रहेगी? और कब तक स्कूल और शिक्षण संस्थान शिक्षण कार्य को एक गोरख धंधा बना के करती रहेंगी?

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