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सभ्य समाज में अगर मनुष्यों को मारने पर सज़ा है तो पशुओं को मारने पर क्यों नहीं

Animals

मैं नहीं जानता तुम लोग कितनी तरह की भाषाएं बोलते हो? मैं भाषा नहीं कहूंगा क्योंकि इंसान की बनाई परिभाषाएं ये कहती हैं कि भाषा बोली, व्याकरण, साहित्य मिलाकर बनती है, तो क्या तुम्हारे बोलने में कोई व्याकरण भी है? और साहित्य? ना, मैं नहीं मानता। क्या तुम्हारे यहां भी कोई विरासत है? चलो छोड़ो, ये बताओ तुम्हारी बोलियां कितनी हैं? और कोई ऐसी बोली क्यों नहीं कि जिसमें तुम इंसानों से बात कर सको? उन्हें कम-से-कम ये बता सको कि तुम पशु इंसानों के गुलाम नहीं जिसको वो अपनी मर्ज़ी से प्यार करें और अपनी मर्ज़ी से मार दे।

हम कहते हैं कि इंसान यानी हम, सभी जानवरों में सबसे ज़्यादा दिमाग रखते हैं। हमने चांद-मंगल कुछ नहीं छोड़ा, पर मुझे ये बेईमानी लगती है। जब सारे इंसान मिलकर मेरे और तुम्हारे बीच बात करने का तरीका तक नहीं ढूंढ पाए तो क्या खाक तरक्की की? क्या तुम जानवरों को भी लगता है कि सर्कस के शेर की तरह ट्रेन करना बोली बोलना या समझना है? या पालतू कुत्तों को डॉगी, शेरू बोलने से उसके चले आने को इंसान की भाषा समझना मानते हो? मैं जानता हूं तुम हम इंसानों की तरह बेवकूफ नहीं,  तुम्हें पता है इन शब्दों को यातना या लालच देकर समझाया गया है, पर सिर्फ कुछ शब्दों को। जैसे कमांड लाइन हो।

मैं आस्तिक हूं, हां अब तक तो हूं पर जब-जब मैं सोचता हूं कि मैं इंसान नहीं कोई जानवर हूं जिसे इंसानी भाषाएं आती हैं, तो मैं तुम जैसा हो जाता हूं और तब मुझे भगवान जैसी किसी चीज़ पर यकीन नहीं होता। क्यों हो? जब मुझे भगवान एक तरफ झुका दिखता है, सारी शक्तियां जब सिर्फ इंसान के पास दिखती हैं तो मुझे लगता है कि यह सिर्फ इंसान का फैलाया हुआ एक फितूर है कि भगवान है।

अगर सच में भगवान होता तो संतुलित होता। एटम बम बनाने वाला इंसान जब बम गिराता तो मरने वालों में तुम्हारी गिनती भी होती और तुम्हारे लिए भी माफी मांगी जाती। या फिर इंसान को मारने की जो सज़ा इंसान खुद तय करता है, उसमें तुम्हें मज़े और स्वाद के लिए मारने की भी एक सज़ा होती। वैसे सच कहूं तो अगर भगवान होते तो एक ही कानून होता “जंगल बुक” की तरह। वहां इंसानी कानून का कोई मतलब नहीं था।

मैं बड़ी उलझन में हूं कि कैसे तुम्हें बताऊं कि अरे ओ बस भावनाओं को समझने वालो, यहां धरती पर जीवन के आगमन के बाद से तुम ही हो जो सबसे पहले थे, यहां तक कि हम भी वही थे जो तुम हो, तुम्हारा हक पहले है इस धरती पर, हमारा तो कब्जाया हुआ है एक गुंडे की तरह।

काश कि तुम लोग भी एक क्रांति करते, इस फालतू की क्रांतियों का डंका पीटने वाले लोगों के खिलाफ। वो क्रांति दुनिया की सबसे महान क्रांति होती जो धरती का वजूद फिर से कायम कर देती और जंगल का कानून भी।

एक बार तुम सबसे बात करने का इच्छुक,
तुम्हारा अपना

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