ढोल,गवार,शुद्र,पशु,नारी,
ये सब ताड़न के अधिकारी।
इस दोहे से ही इनकी मानसिकता समझ में आ जाती है।ये कभी भी नही चाहेंगे कि नीची जाति के लोड आगे बढे।इनका मानना है कि शुद्र तो बस पीटे जाने के अधिकारी हैं ये कैसे सवर्णों के बराबर हो सकते हैं।
आपको लग रहा होगा कि मैं ये सब बातें क्यों बता रहा हूँ!ऐसा इसलिए क्योंकि एंटी रोमियो अभियान का सीधा सीधा सम्बन्ध इन सामंती मानसिकता वाले लीगों से है।
जैसे जैसे समाज में सामाजिक न्याय मिलने के कारण धीरे -धीरे लोगों में दूरियाँ घटने लगी लोग अंतर्जातीय विवाह करने लगे।अंतर्जातीय विवाह ही मुख्य कारण है इस एंटी रोमियो दल के गठन के लिए।सवर्ण कभी नही चाहते की उनके पुत्र या पुत्री किसी पिछड़े या दलित से शादी करे।प्रत्यक्ष रूप से तो ये कुछ कर नही सकते अतः अप्रत्यक्ष रूप से ही नित नए हथकंडे अपना रहे हैं क्योंकि ये चाहते हैं कि युवाओं को एंटी रोमियो के नाम पर इतना आतंकित कर दिया जाय की वे आपस में प्रेम ही न करे।जब वे किसी से प्रेम ही नही करेंगे तब उनके माँ बाप अपनी जाति में ही विवाह करेंगे।
एंटी रोमियो दल पार्क में बैठे लोगों को अनायास ही परेशान कर रही है।प्रेमी जोड़ों को जबरदस्ती पकड़ा जा रहा है,उनसे उठक बैठक कराइ जा रही है तथा उनको दोबारा न इलने की शर्त पर छोड़ा जा रहा है।इस तरह की भी चीजें सामने आ रही हैं जहां पर जाती के आधार पर भी लोगों को परेशान किया जा रहा है।अगर कोई सवर्ण जाती का व्यक्ति है तो उसे छोड़ दिया जा रहा है परंतु यदि कोई पिछड़ी या दलित जाति से सम्बन्ध रखता है तो उसे जरूर दण्डित किया जा रहा है क्योंकि यह सरकार सवर्णों की सरकार है।
सामंतवादी मानसिकता वाली यह सरकार यह बहुत अच्छे तरीके से जानती है की अगर अंतर्जातीय विवाह को ख़त्म करना है तो लोगों के बीच में दूरियाँ पैदा की जाय जिससे सवर्ण,पिछड़े और दलितों से न मिल पायें।
एंटी रोमियो अभियान का प्रभाव-
एंटी रोमियो अभियान का प्रभाव दिखने लगा है।सार्वजानिक स्थान पर कोई लड़का किसी लड़की से चाहे वह मित्र हो या भाई बहन हो ,वे आपस में बात करने से कतराने लगे हैं लोगों में दहशत का माहौल व्याप्त होता जा रहा है और इस प्रकार यह मनुवादी सरकार अपनी सोच को लोगों पर थोपने में सफल दिख रही है।