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ये एप मिलवा चुका है हज़ारों डिसेबल्ड लोगों को अपने हमसफर से

विवाह के लिए सामूहिक सभाओं और स्वयंवरों से, पार्टनर चुनने के लिए फोन की स्क्रीन पर एक स्वाइप करने तक कितनी दूर आ चुके हैं ना हम। हां कुछ साल पहले तक कम से कम माता-पिता वाली पीढ़ी ऐसी थी जिन्हें ये सुनकर अजीब और असहज लगता था कि ऑनलाइन कोई लाइफ पार्टनर कैसे चुना जा सकता है? टिंडर, फेसबुक, व्हाट्सएप, और ऐसे ही एप्स पर बस एक स्वाइप और इश्क की कहानियां शुरू।

इन तमाम इक्सपीरियेंसेज़ के दौरान कभी आपको डिसेबल्ड लोग नज़र आए हैं क्या ऐसे डेटिंग या मैचमेकिंग साइट्स पर? हाहाहा अजीब सवाल है ना? अजीब इसलिए कि इन साइट्स पर हमारी कल्पना में भी डिसेबल्ड लोगों की जगह नहीं है। लेकिन वो कहते हैं ना हर दौर में कुछ लोग ना सिर्फ हमारी कल्पनाओं को बल्कि पूरी समझ को एक नई दिशा देते हैं।

डिसेबल्ड लोगों को डिजिटल स्पेस में प्यार करने का बराबर मौका देने के ऐसे ही नायाब सोच के साथ आगे आईं 24 साल की कल्याणी खोना। कल्याणी को ये बात खटकी कि डिसेबल्ड लोगों के लिए पूर्वाग्रहों और डर के परे कोई ऐसा स्पेस नहीं है जहां वो अपनी मर्ज़ी से प्यार ढूंढ सकें। कल्याणी ने 2014 में इसी सोच के साथ एक मैचमेकिंग एजेंसी की शुरुआत की। धीरे-धीरे लोगों के बढ़ते साथ और उत्साह को देखते हुए कल्याणी ने इस एजेंसी को एक एप की शक्ल दी और नाम दिया Inclov (inclusive love).

इस एप का मकसद यही है कि एक डिसेबल्ड लोगों के लिए एक ऐसा स्पेस बनाया जाए जहां वो हम सबके द्वारा उनको दी गई सिर्फ डिसेबिलिटी वाली पहचान से ऊपर उठकर उन तमाम इंसानी भावनाओं का मौका तलाश सकें जो इंसानी जीवन का हिस्सा हैं। ये एप उस सोच पर भी सवाल खड़े करता है जिसमें हम डिसेबल्ड लोगों के जीवन में सेक्स, प्यार और नए लोगों से मिलने की चाहत को पूरी तरह से नकार देते हैं।

कल्याणी बताती हैं ”हमने ये नोटिस किया कि कहीं भी inclov जैसा कोई प्लैटफॉर्म नहीं है जो सभी के लिए बराबर मौके लेकर आता है चाहे वो डिसेबल्ड हों या किसी भी उम्र के हों, हमारा मकसद यही था कि कम से कम प्यार करने में हम डिसेबल्ड और एबल्ड वाला ये भेदभाव मिटा सकें” 

inclov पूरे दुनियाभर में लोगों को उनके मेडिकल कंडिशन, स्वतंत्रता और लाइफस्टाइल जैसे क्राइट्रेरिया के हिसाब से आपस में मिलने का मौका देता है।

कल्याणी ने कहा ”हम जल्द हीं इसका ios वर्जन भी लाँच करने वाले हैं। हम इसमें और भी भारतीय भाषाएं जोड़ने का विकल्प तलाश रहे हैं ताकि ये अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके।”

अभी इस एप के 7 हज़ार यूज़र्स हैं और इसके ज़रिए 3 हज़ार से ज़्यादा लोगों का मैच हो चुका है। inclov ने अपने तरफ से सोशल स्पेसेज़ के नाम से भी एक नई पहल शुरू की है। सोशल स्पेश एक ऑफलाइन मीटिंग प्लैटफॉर्म है जहां कोई भी तय लोकेशन पर आकर नए लोगों से मिल सकता/सकती है। इस पूरे प्रोसेस में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि सारे लोकेशन्स 100% एक्सेसिबल हों और वहां पर साइन लैंग्वेज एंटरप्रेटर भी हों। हर महीने अलग अलग शहरों में ऐसी मुलाकाते करवाई जाती हैं।

(सभी तस्वीरें inclov के फेसबुक पेज से ली गई हैं)
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