आपके दाएं बाएं, उपर नीचे, अगल बगल हर जगह इतनी खबरें और इतनी जानकारियां तैर रही हैं कि दिमाग का छन्नी सच्ची और झूठी खबरों को पकड़ने में हरबार चकरा जाता है। खासकर जबसे हमारा फोन ही हमारे इनफॉर्मेशन का सबसे बड़ा सोर्स बन गया है तबसे उंगलियां अक्सर झूठी और सच्ची खबरों में फर्क किये बिना एक क्लिक पर हमें प्रोपागांडा की दुनिया में धकेल रहे हैं। ये क्विज़ खेलिए और पता लगाइये कि आप कितने तैयार हैं सच और झूठ के बीच फर्क करने में।