शाम टहलते हुए जो एक संत दिखाई दिया मुझको, तो याद आया के आगे मंदिर है और बात ज़हन में ये आई,
मैं कैसा हिन्दू हूँ भाई?
मैं बनिया हूँ, या पँडा हूँ,
जाट हूँ, के गुर्जर हूँ,
ठाकुर हूँ, के यादव हूँ,
देहात से हूँ, या शहर से हूँ?
मैं कट्टर हूँ, या liberal हूँ?
मैं कैसा हिन्दू हूँ भाई?
मैं माला जपने वाला हूँ,
या पिण्ड पूजने वाला हूँ,
मैं भगवा लपेटे फिरता हूँ,
या बिन जनेऊ ही जचता हूँ,
मैं राम नाम ही जपता हूँ,
या hangover भी करता हूँ,
मैं कैसा हिन्दू हूँ भाई?
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