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“नंगे, नरमुंड लिए, देश पर बोझ गंदे किसानों की कुछ तस्वीरें”

यूं  तो कावेरी की जल के विवाद का उफान ऐसा है कि हल्ला हंगामा होता है, संसद स्थगित हो जाने की नौबत आ जाती है और शहर के शहर थम जाते हैं। लेकिन उसी कावेरी के तट पर जब मौसम सूखा बनकर टूटता है तो सुध ना तो चेन्नई की सरकार ले रही है और ना ही दिल्ली की गद्दी। इस बीच तमिलनाडु से जो 84 के लगभग किसान सूखे से बर्बादी की तस्वीर दिखाकर राहत मांगने आएं थे उनपर एकबार फिर से दिल्ली का सूखा बैर निभाने आ गया है। जो नहीं आता है वो है राहत और चुनावी घोषणापत्रों से इतर राजनीति के दरवाज़े पर किसानों की दस्तक।

कावेरी नदी के मुहानों पर आए 150 साल के सबसे भयानक सूखे के कारण बर्बाद हुए फसल के बदले, तमिलनाडु से लगभग 84 किसान दिल्ली के जंतर मंतर पर पिछले 15 दिनों से ज़्यादा से धरना  दे रहे हैं।

अपनी मांग रखने के लिए किसान आत्महत्या कर चुकें अपने साथियों का नरमुंड भी साथ लेकर आए हैं। सरकार की उदासीनता के विरुद्ध ये किसान अपने मुंह में ज़िंदा और मरे चुहे को लेकर भी प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर सरकार इनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती तो जल्द ही इन्हें भी अपने दोस्तों जैसा कदम उठाना पड़ेगा।

प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग है कि सरकार द्वारा दी जा रही 2000 करोड़ के बदले 40000 करोड़ की मदद मिले, बैंक से लिए गए उनके कर्ज़े माफ कर दिये जाएं तथा आगे सिंचाई के पुख्ता इंतज़ाम किए जाएं।

पिछले चार महीने में तमिलनाडु में सूखे की वजह से लगभग 4 सौ किसानों की मौत हो चुकी है। किसानों के समर्थन में दिल्ली में रह रहे तमिल लोग और अलग अलग संस्थाएं भी आगे आई हैं।

हालांकि बहुत सारे नेता और अभिनेता भी इस विरोध प्रदर्शन में शिरकत कर चुके हैं लेकिन जब किसानों की बदहाली की आवाज़ें संसद के माइकों पर नहीं गूंजते तो हाथ जोड़े,विनम्र मुद्रा में ऐसे विरोध प्रदर्शनों में शामिल होना महज़ फोटो ऑप जैसा ही लगता है।

(सभी तस्वीरें लेखक लेखक द्वारा ली गई हैं)

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