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जानिए क्या हैं डिप्रेशन के लक्षण

मेरी एक दोस्त हैं जो मेंटल हेल्थ पर काम करती हैं। जब पहली बार उनसे मुलाक़ात हुई तो काफी सारी चीजें उन्होंने मेंटल हेल्थ के बारे में बताई, लेकिन इतना सारा ज्ञान एक साथ समेटा ना गया। अगली मुलाकात तक उनकी कही पिछली कुछ-कुछ बातें हाइलाइट्स की तरह ही याद थी। तो मेरा उनसे सवाल था कि एक आम इंसान को सरल भाषा में मेंटल हेल्थ के बारे में कैसे समझाया जाए? जब समझेंगे तभी ना जागरूक हो पाएंगे हम।

मेंटल हेल्थ यानि कि मानसिक स्वास्थ, भारत जैसे युवा देश में एक गंभीर समस्या के रूप में उभरी है, ऐसा कहते कई आर्टिकल्स देखे और कुछ पढ़े भी। ऐसे ही एक आर्टिकल में बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 7.5% लोग किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं।करीब 5.6 करोड़ लोग अवसाद यानि डिप्रेशन और 3.8 करोड़ लोग बेचैनी यानि एंग्जायटी के शिकार हैं। एक बार समझने की कोशिश करते हैं प्रमुख मानसिक बीमारियों में से एक डिप्रेशन को-

डिप्रेशन या अवसाद

डिप्रेशन के बारे में काफी समय से बात की जा रही है और यह एक गंभीर बीमारी है। किसी का गुमसुम और उदास रहना, लोगों से दूरी बनाकर रखना, किसी काम में मन ना लगना आदि लक्षणों को ही अगर आप डिप्रेशन मानते हैं तो जान लीजिए कि डिप्रेशन केवल इतना ही नहीं है। अगर इसे ही डिप्रेशन कहेंगे तो शायद हम सभी इस तरह से कभी न कभी महसूस कर चुके हैं। कुछ ख़ास लक्षण हैं जिनसे हम ये जान सकते हैं कि किसी में डिप्रेशन की संभावना है या नहीं बाकी उसे यह बीमारी है कि नहीं, यह तो कोई एक्सपर्ट ही बता सकता है।

लक्षण-

1)- मन उदास रहना, निराशा महसूस करना (बच्चों में यह चिड़चिड़ेपन के रूप में भी दिख सकता है) और ऐसा पूरे दिन महसूस होना।

2)- किसी भी तरह की ख़ुशी और उत्साह का महसूस नहीं होना और ऐसा पूरे दिन महसूस करना।

3)- लगातार वज़न का कम होना।

4)- नींद ना आना या बहुत ज़्यादा नींद आना।

5)- बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो जाना।

6)- हर वक़्त थका हुआ महसूस करना।

7)- खुद को अयोग्य महसूस करना, ग्लानी की भावना का होना (यह भ्रम की स्थिति के कारण भी हो सकती है)।

8)- ध्यान एकाग्र न कर पाना या सोच विचार करने में असफल रहना।

9)- खुदकुशी का ख़याल आना या उसके तरह-तरह के तरीकों के बारे में सोचना या लगातार मौत के बारे में सोचना।

ऊपर लिखे लक्षणों में से अगर कोई 5 या ज़्यादा लक्षण किसी इंसान में कम से कम और लगातार 2 हफ़्तों तक नजर आएं (इनमें लक्षण 1 या 2 में से किसी एक का होना ज़रूरी है) तो उस इंसान में डिप्रेशन होने की प्रबल संभावनाएं होती हैं और उसे तुरंत मेडिकल सहायता की दरकार होती है।

ये लक्षण हमें जानने में मदद करते हैं कि हमारे किसी करीबी को पेशेवर (मेडिकल प्रोफेशनल) की ज़रूरत है या उसकी तकलीफ में हमारा साथ ही काफी होगा।

डिप्रेशन और इसका संबोधन

मेरी दोस्त ने एक और अहम बात मुझे बताई और वो थी सही शब्दों का इस्तेमाल। उन्होंने बताया कि एक मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल होने के नाते उन्हें बहुत बुरा लगता है जब मानसिक तनाव की किसी भी स्थिति के लिए हम डिप्रेशन शब्द का इस्तेमाल कर लेते हैं। “आज बड़ा डिप्रेस लग रहे हो यार” मुझे यकीन है कि किसी दोस्त ने आपको ये बात ज़रूर कही होगी। वो कहती हैं कि डिप्रेशन शब्द का इतना कैजुअल इस्तेमाल कहीं ना कहीं इसकी गंभीरता को भी कम करता है। टेंशन और डिप्रेशन में फर्क है जिसे समझने की ज़रूरत है, वैसे ही जैसे बुखार और टायफाइड में है।

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