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विकशित हरियाणा – शब्द या हकीकत

हरियाणा में बढ़ती बसों की किल्लत और उससे संघर्ष करती छात्राए |

हरियाणा रोडवेज कहने को तो सुविधाओं से परिपूर्ण हैं। कई तरह की याञी छुट उपलब्ध हैं। परन्तु खचाखच छाञों से भरी रोडवेज बसों का ये नजारा प्रतिदिन की हकिकत को बयान करता हैं। जहाॅ इन्हें अपनी पढाई के लिए अपनी जान को जोखिम में डाल कर इन हरियाणा रोडवेज बसों में सफर करना पडता हैं। वैसे तो सरकार का नारा ,नः1 हरियाणा हैं,पर इस नारे में कितनी सच्चाई हैं वो ये नजारा बयान करता हैं। जहाॅ सरकार एक तरफ लड़कियों को पढ़ाने और बढाने के लिए योजना पर योजना निकाल रहीं हैं वहीं सरकार के पास इतनी फुरस्त नहीं हैं कि वो ये देख सके की उन द्वारा बनाई गई योजना छाञोओं तक कितनी और किस तरिकें से पहुॅच रही हैं। जहाॅ सरकार ने छाञोओं के लिए फ्री बस पास मुहिम करवा रखा हैं,वहीं उन्हें इन सरकारी बसों कि किल्लत को सहना पड़ रहा हैं। बसों में बैठने कि बात तो दूर ,खडे़ होने के लिए भी जगह नसीब नहीं होती। जिसके परिणाम स्वरुप इन्हें अपनी शिक्षा के लिए अपने जीवन को तलवार की उस धार पर रखनी पड़ती हैं जो अगर थोड़ी सी भी हिली तो जान से हाथ थोना पड़ सकता हैं। जब छाञोओं से पूछा गया कि ऐसा क्या कारण हैं जो इन बसों के छतों पर सफर करना पड़ता हैं? तो उन्होंने  बताया कि फ्री बस पास सुविधा होने के कारण उन्हें हरियाणा रोडवेज बसों में सफर करना पडता हैं। परन्तु रोडवेज बस,बस स्टैड के अन्दर से लाने की जगह ,बहार से ले जाते हैं। और जब कोई बस अन्दर से आती हैं तो वो बस बच्चों से खचाखच भर जाती हैं। समय से कालेजॅ और स्कूल पहुचॅन के लिए हमें इन बसों की छत पर सफर करना पड़ता हैं।
ये समस्या न केवल एक गावॅ या शहर की नहीं हैं ,बल्कि पुरे हरियाणा की हैं। अब सवाल ये उढता हैं कि क्या ये छाञाएॅ एक महिला बस की माॅग नहीं कर सकती। तब छाञोओं ने बताया की उन्होनें इस मसले में एम.सी से बात की ,परन्तु हर बार आश्वासन देकर लौटा दिया जाता हैं। एक बार फिर वहीं बात उठती हैं कि ये ही नः1 हरियाणा हैं? जहाॅ लड़कियों पढ़ना तो चहाती हैं,पर उन्हें पूरी सुविधा उपलब्ध नहीं हैं।

 

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