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प्रिय 12वीं के स्टूडेंट्स रिज़ल्ट के बाद एक नई ज़िंदगी शुरू होगी ख़त्म नहीं

आज CBSE 12वीं बोर्ड का रिज़ल्ट आने वाला है। स्टूडेंट्स के साथ-साथ उनके माता पिता भी रिज़ल्ट का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे होंगे और साथ ही साथ ये चिंता भी होगी कि कैसे मार्क्स आएंगे। अच्छे मार्क्स आए तब तो बढ़िया और अगर कम मार्क्स आए तो पता नहीं अच्छे कॉलेज और पसंदीदा कोर्स में एडमिशन मिलेगा या नहीं। क्योंकि आजकल टॉप कॉलेज और यूनिवर्सिटीज़ में एडमिशन मिल जाना ही सफलता मानी जाती है।

हमारा एजुकेशन सिस्टम जिस ढर्रे पर चल रहा है, वहां स्टूडेंट्स सिर्फ मार्क्स के पीछे दौड़ रहे हैं, क्योंकि जब तक अच्छे मार्क्स (90-95% से ज्यादा) नहीं मिलेंगे, आपको अच्छे कॉलेज में एडमिशन नहीं मिलेगा और अगर अच्छे कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला तो इस समाज की नज़रों मे आपसे बड़ा असफ़ल, बेचारा तो कोई है ही नहीं।

छात्रों पर बढ़ते हुए बोझ को देखते हुए शिक्षा व्यवस्था को बाल केंद्रित (student centered) बनाने की कोशिश तो की गई, जिसमें पाठ्यक्रम का निर्माण बच्चों की क्षमता, रुचि इत्यादि को ध्यान मे रखते हुए किया जाए लेकिन ऐसा हो नहीं सका। अभी भी हमारी शिक्षा प्रणाली विषय केंद्रित (subject centered) ही है, जिसमें सारा ध्यान बच्चों को सिर्फ़ सिलेबस याद करवाने, रटवाने और परीक्षाओं में अच्छे मार्क्स लाने पर दिया जाता है। चाहे वह बच्चों की क्षमताओं और रुचियों से मेल न खाता हो। इसी वजह से बच्चों पर अच्छे मार्क्स लाने का दवाब बढ़ जाता है और ऐसा न कर पाने की स्थिति में डिप्रेशन, सुसाइड जैसे केस सुनने को मिलते हैं।

12वी के रिज़ल्ट घोषित होने के बाद युवाओं का सपना होता है दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना। लेकिन डी यू की कट ऑफ़ ही देख लीजिये। 98-99% से तो शुरू ही होती है। जो बच्चे इस आंकड़े को छू लेते हैं, वो तो इस रेस में जीत जाते हैं। लेकिन वैसे स्टूडेंट्स जिनके मार्क्स लास्ट कटऑफ़ के दायरे मे भी नहीं आते, तब पेरेंट्स और हमारा समाज उन्हें ऐसा महसूस करवाते हैं जैसे कि अब ज़िन्दगी में कुछ बचा ही नहीं। अब तो जैसे कोई मौका ही नहीं मिलेगा।

लेकिन क्यों? क्या सिर्फ टॉप कॉलेज में एडमिशन मिल जाना ही सब कुछ है। सफलता ये नहीं है कि आपको किस कॉलेज में एडमिशन मिल रहा है या आप कहां पढ़ रहे हैं, सफलता ये है कि आपके पास नॉलेज़ कितना है। और आगे ज़िंदगी में आपको वो नॉलेज, वो ज्ञान ही काम आएगा जो आपने सीखा है, ना कि उस कॉलेज और युनिवर्सिटी का नाम जहां से आपने डिग्री ली है।

इसलिए पेरेंट्स को ऐसे दक़ियानूसी विचार अपने दिमाग से निकालने होंगे और अपने बच्चों को समझाना होगा। उन्हें सपोर्ट करना होगा कि अगर उन्हें अच्छे कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला तो मायूस होने की ज़रूरत नही है। आप पढ़ाई कहीं से भी करें, मेहनत आपको स्वयं ही करनी होगी। हां, दाखिला उसी कोर्स में लें जिसमें आपकी रुचि है। मैंने देखा है कि स्टूडेंट्स नामी कॉलेजों में एडमिशन लेने के चक्कर में किसी भी ऐसे कोर्स में एडमिशन ले लेते हैं, जो उनकी रुचियों और क्षमताओं से बहुत अलग होता है। नतीजतन उन्हें कभी-कभी असफलता का सामना भी करना पड़ता है। इसलिए किसी के दबाव में न आएं। क्योंकि जब आप पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश में निकलेंगे तो इम्पोर्टेंस आपके नॉलेज और टैलेंट को दिया जायेगा, आपके मार्क्स या कॉलेज को नहीं।

सभी बारहवीं के छात्रों को all the best!!!

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