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चोरपुर के होशियार

चोरपुर के होशियार
सुनील जैन राही
एम-9810960285
    मेरे शहर में चोरपुर, आपके शहर, कस्‍बे में चोरपुर। हर शहर  चोरपुर के बिना पूरा नहीं। चोरपुर वह इलाका होता है, जहां चोर साहूकार के रूप में आपके सामने आता है। जैसे ही आप शहर में कदम रखते हैं, चोरपुर के होशियार के ठग आपको घेर लेते हैं। उनका गठबंधन सत्‍तारूढ गठबंधन से भी ज्‍यादा मजबूत होता है। उनका समझौता शिमला समझाते से ज्‍यादा विश्‍वासू होता है। उस इलाके में उन्‍ही का शासन होता है। चोरपुर में पुलिस भी होती है, लेकिन चोरपुर के होशियार के साथ भी उनका सीमा रेखा समझौता होता है, जिससे चोरपुर की सीमा में पुलिस नहीं आती और पुलिस की सीमा का अतिक्रमण चोरपुरवासी नहीं करते।
    आपके गाड़ी से/ट्रेन से/बस से/हवाई जहाज से उतरते ही दूर खड़ा चोरपुर का होशियार अपने बंदों को तैनात कर देता है। आपकी हर हरकत पर नजर रखी जाती है। आपको शिकार घोषित करने के लिए मूल्‍यांकन होता है।   किस श्रेणी का शिकार हैं। शिकार किस तरह किया जाए, यह तय हो जाता है।  आपके पास एक दीन-हीन लड़का आएगा और उसकी दयनीयता से प्रभावित हो जाएंगे। बस आपका शिकार हो गया। आप फंस गए। आप आसपास हो रहे षडयंत्र को सूंघ नहीं पाते। दस रुपये में होटल, मार्केट या फिर दर्शनीय स्‍थान पर ले जाया जाता है। जहां पहले से ठगने के लिए चोरपुर के होशियार मौजूद हैं। आपको घेर लिया जाता है। सोचने का वक्‍त नहीं दिया जाता है।
    आप हवामहल देखना चाहते हैं, लेकिन आपको आमेर का किला दिखाया जाता है, आप जूता खरीदना चाहते हैं, लेकिन चप्‍पल टिका दी जाती है, आप रस मलाई खाना चाहते हैं, ब्रेड पकोड़ा कड़ी में डालकर खिला दिया जाता, ऑटो से जाना चाहते हैं, टैक्‍सी में डाल दिया जाता है। जिसमें ,उन्‍हें फायदा नजर आएगा वही कर सकते हैं। एक बार आप दूकान में घुस गए, फिर आप उनकी मर्जी से ही बाहर निकल सकते हैं। चोरपुर के होशियारों के मकड़ जाल से कोई भी निकल नहीं सकता।      प्रताडि़त किया जाता है-जैसे साले पता नहीं किस कंगाल देश से आए हैं, जब रुपये नहीं थे तो ई-रिक्‍शा में क्‍यों बैठे, हम क्‍या तेरे  बाप के नौकर लगे हैं, जो दस रुपये में दस किलोमीटर ले जाएंगे।
    चोरपुर के होशियार हथियार के रूप में जेबकतरों, ठग, ऑटो वाले, रिक्‍शेवाले, ई-रिक्‍शा वाले, टैक्‍सी वालों का इस्‍तेमाल करते हैं। इनके असली शिकार होते हैं, विदेशी पर्यटक और बीबी-बच्‍चों सहित परिवार।
    आप परिवार के साथ अकेले होते हैं, वे गुट/गैंग में, दो आदमी काली पल्‍सर से फॉलो करते हैं। आप फंस जाते हैं। चार रुपये की चीज 40 में और 400 की चीज 1600 में खरीद कर निकलते हैं। आप न चाहते हुए भी चोरपुर से निकलते हैं गुनगुनाते हुए-
 बड़े बेआरू होकर तेरे कूचे से हम भागे।
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