जब मैं बाल अवस्था में था तो एक हार्डवेयर के दुकान पे जा के बैठता था। क्योंकि हार्डवेयर की दुकान के मालिक से मेरी जमती थी और बालक था तो स्कूल से आने के बाद कोई काम नही तो वही जा के बैठ जाता था। लेकिन अब वो दिन कही गुम से ही हो गए है।
उस हार्डवेयर दुकान के मालिक जब भी अपने हम उम्र साथी से बात करते तो हँसते हुए ये कहते की उम्र तो पचपन है लेकिन दिल बचपन है।
शनिवार की रात जश्न – ए – जाम के महफ़िल में बैठा हुआ था। साथ में थे अटल लाइट वाले, अटल लाइट वाले इसलिए क्योंकी उनका कार्य लाइट का था ऐसे उनका नाम अटल कुमार था।
जाम के साथ उम्र पचपन वाली बात का सिलसिला शुरू हुआ। अटल कुमार जी एक बोटल किंगफ़िशर की स्ट्रांग बियर पी के फिट हो गए थे।
और ऐसे भी देखा जाये तो कोई भी इंसान यदि शराब चढ़ा ले तो उसके अंदर का सच या झूठ बाहर निकल ही जाता है।
और अटल कुमार जी के अंदर का युवा बाहर निकला उनके जवानी का यौवन झलका।
मैं यहाँ पे ये लिखते हुए बातो को आगे बढ़ा रहा हूँ की वो शादी-शुदा है और दो बच्चों के बाप है उनकी बेटी अभी 10वी में स्कूल टॉप की है।
उन्होंने मुझे बताया की मेरे शादी के पहले कई लड़कियो के साथ अफेयर थे। मैंने ये बात सुना तो मेरे मुख से हँसी के बाण ऐसे छूटे जैसे महाभारत के युद्ध के वक़्त युद्धकर्ताओ के बीच एक साथ कई तीरो का वार।
मैंने पूछा क्या सच है? तो उन्होंने अपने माथा को झकझोरते हुए कहा! हां यार सच है, मैंने उन्हें मज़ाक में ही कहा की आपने अपने जवानी में कई लड़कियो के साथ गुलछर्रे उड़ाए है।
तो उन्होंने मुझसे कहा, तुम नही उड़ाया है क्या? मैंने कहा नही मेरी आज तक किसी लड़की के साथ कोई अफेयर नही हुआ।
बियर की ठंडई गरम बवंडर में बदल रही थी और धीरे-धीरे आँखों को नशीली करते हुए है मस्तक के उस नस में प्रवेश कर रही थी जिस नस में रोमांच का अहसास हो सुख की अनुभूति हो।
बातो का सिलसिला वैसे ही जारी रहा जैसे एक-एक बियर की घूंट।
अटल कुमार ने काफी बात बताई कुछ अच्छी भी कुछ बुरी भी और मै सामजिक हूँ तो बुरी बातो को प्रेषित नही कर सकता।
उन्होंने एक और छोटी बात कही, की मेरी अभी भी एक चक्कर चलती है एक लड़की से। जब ये बात मैंने उनके मुख से सुना तब मैं सोचने को मजबूर हुआ और मेरा अंतसमन सवालो के घेरे से घिर गया।
मेरी व्यक्तिगत सोच ये कहती है की की सर्वप्रथम तो हमे महिलाओ का सम्मान करना चाहिये। छल और कपट , किसी को फ़र्ज़ी प्रेम के बंधन में नही बाँधना चाहिए।
क्योंकि किसी भी बालिका किसी भी महिला की अस्मत ही उसकी असल इज़्जत होती है। असल पूंजी होती है। इसके साथ धोखाधड़ी नही।
कलयुगी दुनिया की बात करू तो माफ करियेगा यहाँ थोड़े गलत शब्दों का प्रयोग कर रहा हूँ मैं! जबाना है, पटाओ, सटाओ, हटाओ का। जिसको आज के एमो युवा ने इंग्लिश की शार्ट भाषा में PSH कहा। और PSH की इस गिरोह में लड़किया भी लड़को की सोच वाली ही होती है। इसलिए आज इतने क्राइम बढ़ गए है! ब्लैकमेल हुआ तो मम्मी, पापा याद आते है।
हवस को ठंडा करने का वक़्त तो उस चरम की शिखर पे होते है जहाँ दुनिया की कोई विज्ञानं नही पहुँच सकती। खैर ये प्रकृति प्रदत्त है लेकिन प्रकृति प्रदत्त की भी कोई सीमा होती है।
अटल कुमार के बातो ने सोच को उस भवसागर पे पहुँच दिया जहाँ से इंसान नीचे देखे तो सिर्फ काला कुआँ ही नज़र आएगा।