पिछले कुछ सालों में कॉलेज प्रशासन ने अलग अलग तरीकों से हम स्टूडेंट्स के अधिकारों और आवाज़ों को दबाने की कोशिश की है। ये बात अलग है कि पूरी शिक्षा व्यवस्था में जहां सबसे ज़्यादा ज़ोर हमारी बातों पर होना था वहां हमारे विचारों को पूरी तरह से खारिज़ कर दिया गया।
हमारे कैंपस में सालों से बैच दर बैच कई अनसुलझे मुद्दें जमे हुए हैं। मसलन सदियों से नहीं बदला पाठ्यक्रम, गैरज़िम्मेदार कॉलेज प्रशासन, कैंपस में होने वाले अलग-अलग भेदभाव, कालजयी लिंगभेद जैसे महिला हॉस्टल पर कर्फ्यू, और ना जाने ऐसे कितने ही मुद्दें।
लेकिन पिछले कुछ वक्त से छात्र उठे हैं उन्होंने आवाज़ बुलंद की है और मज़बूती से बुलंद की है। शुरुआत हुई थी 2014 में जाधवपुर यूनिवर्सिटी के हॉकोलॉरोब आंदोलन से जहां छात्रों ने उपकुलपति के इस्तीफे की मांग की। दिल्ली विश्वविधालय से लेकर अलग-अलग शिक्षण संस्थानों में पिंजरातोड़ आंदोलन के ज़रिए छात्राओं ने कैंपस में लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव को खत्म करने को लेकर भी आवाज़ उठाया। FTII के छात्रों ने शिक्षा के स्तर में गिरावट को बचाने के लिए डटकर विरोध किया।
आपको नहीं लगता कि वक्त आ चुका है? वक्त आ चुका है कि हमारी बात सुनी जाए। वक्त आ चुका है कि हम अपने कैंपस को बेहतर बनाने को लेकर बात करें। उन कैंपस को बेहतर बनाने को लेकर जो 3 से लेकर 5 सालों तक हमारा घर बन जाता है। कई बार इससे भी ज़्यादा वक्त तक। तो क्यों ना हम इन मुद्दों पर खुलकर बात करें, विरोध करें उन चीज़ों का जो गलत है ताकि हमें और हमारे बाद आने वालों को एक बेहतर जगह मिल पाएं।
अगर आप अपने कॉलेज से खुश नहीं हैं वो चाहे प्रशासन को लेकर हो या शिक्षकों को लेकर तो साझा करें अपनी कहानी हमारे साथ। अगर आपको लगता है कि आपका कॉलेज है दूसरों के लए मिसाल तो हमें वो भी बताएं।
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