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जब 10वीं का बच्चा कहे कि वो इस देश की व्यवस्था से हार गया है

अक्सर आपने फिल्मों के कोर्टरूम सीन में किसी ना किसी को ये कहते सुना होगा कि उस तारीख को मैं वहां था ही नहीं। साफ है ऐसे दलीलों का इस्तेमाल अपनी गैरमौजूदगी साबित करने के लिए की जाती है। अब फर्ज़ करिए आप कहीं मौजूद हों लेकिन जब उस जगह की घटनाओं को दस्तावेज़ों में लिखा जाए तो सबके सामने ये आये कि आप वहां थे ही नहीं!

अवनीश का रिज़ल्ट

ऐसा ही कुछ वाकया हुआ है उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के भगवानपुर गांव के छात्र अवनीश यादव के साथ।

अवनीश यादव आज़मगढ़ के चिल्ड्रेन सीनियर सेकंड्री स्कूल में पढ़ते हैं। अवनीश ने इसी साल 10वीं बोर्ड की परीक्षा दी लेकिन आज जब CBSE ने 10वी बोर्ड के रिज़ल्ट जारी किये तो वो मार्कशीट देखकर हैरान रह गएं। अवनीश को किसी भी सब्जेक्ट में कोई भी नंबर नहीं दिया गया है। मार्कशीट देखकर ऐसा लगता है जैसे अवनीश ने इग्ज़ाम दिया ही नहीं है। अवनीश को हर सब्जेक्ट में E2 ग्रेड दिया गया है।

Youth Ki Awaaz से बात करते हुए अवनीश ने बताया कि स्कूल में होने वाले परिक्षाओं के आधार पर जो नंबर CBSE को भेजे जाते हैं फाइनल मार्कशीट में जोड़े जाने के लिए अवनीश के केस में भेजा ही नहीं गया।

रिज़ल्ट में गड़बड़ी से पहले का मामला

अवनीश ने बताया कि उसके पिता किसान हैं और एक संस्था से जुड़े हैं। संस्था गरीब किसानों को बच्चों के पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता देती है। सहायता प्राप्त करने के लिए संस्था को स्कूल के साल भर का फीस का स्टेटमेंट देना होता है। अवनीश ने जब अपने स्कूल से फीस स्टेटमेंट की मांग की तो उन्हें बोला गया कि बाद में आओ। जब अवनीश फिर से स्कूल से फीस स्टेटमेंट मांगने गएं तो उन्हें फीस स्टेटमेंट की जगह ट्रांसफर सर्टिफिकेट यानी TC देकर स्कूल से निकाल दिया गया। ये पूरा वाकया 9 अगस्त 2016 को हुआ। जब अवनीश ने वजह जानने की कोशिश की तो कहा गया यहां फीस स्टेटमेंट नहीं दिया जाता। हालांकि स्कूल का कहना है कि अवनीश के पिता ने स्कूल कैंपस में फीस स्टेटमेंट मांगने के नामपर अधिकारियों के साथ बद्तमीज़ी की और इसिलिए ये कदम उठाया गया।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने की मदद

पूरा मामला राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के पास पहुंचा। आयोग ने मामले में स्कूल को तलब करते हुए साफ किया कि अगर बच्चे के पिता ने स्कूल में अधिकारियों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार किया भी है तो इसकी कोई भी सज़ा बच्चे को नहीं दी जा सकती खासकर स्कूल से बाहर निकालने की शक्ल में। आयोग ने इस पूरे मामले में CBSE को भी नोटिस भेजा और अवनीश को स्कूल में फिर से दाखिला और 10वीं बोर्ड में बैठने के लिए एडमिट कार्ड देने की भी बात रखी।

अवनीश का एडमिट कार्ड

CBSE ने स्कूल TC रद्द कर स्कूल को दिए निर्देश

पूरे मामले को जांचने के बाद CBSE ने स्कूल से पूछा कि बोर्ड के नियमों की अनदेखी करते हुए कैसे स्कूल ने अवीश को टीसी दे दिया। CBSE ने स्कूल को अवनीश को दुबारा स्कूल में एडमिशन देने और 10वीं बोर्ड की परीक्षा में बैठने के लिए उचित इंतज़ाम करने का भी आदेश दिया।

Youth Ki Awaaz से बातचीत में अवनीश ने बताया कि आयोग के सामने जब बोर्ड को स्कूल के इंटर्नल इग्ज़ाम्स में दिए जाने वाले मार्क्स भेजे जाने के संबंध में बात उठी तो तत्कालीन प्रिंसिपल एस सी पटनायक ने भरोसा दिलाया कि बोर्ड को अवनीश के अच्छे मार्क्स भेजे जाएंगे। आज जब 10वीं के रिज़ल्ट सामने आए तो साफ है कि स्कूल की तरफ से बोर्ड को शायद कोई नंबर नहीं भेजा गया।

YKA से बातचीत में प्रिंसिपल ने दिया गोलमोल जवाब

हमने जब अवनीश द्वारा बताए गए प्रिंसिपल एस सी पटनायक से संपर्क किया तो उन्होंने ये कहते हुए कुछ भी बताने से इनकार कर दिया कि वो अभी प्रिंसिपल नहीं हैं। जब उनसे पूछा गया कि अवनीश को हर सब्जेक्ट में E2 आने का क्या मतलब निकाला जाए? तो उन्होंने कहा कि मैं अब प्रिंसिपल नहीं हूं। ये पूछने पर कि जब अवनीश को टीसी दिया गया था तब तो आप प्रिंसिपल थे उन्होंने कहा कि किसी समय था अब नहीं हूं और ये बातें CBSE से पूछिए।

हमने CBSE से भी मामले के बारे में पूछना चाहा लेकिन शायद रविवार होने की वजह से कोई भी संपर्क में नहीं आ सकें।अवनीश ने कहा कि टीसी वाले पूरे प्रकरण से पहले ही उसके 5-6 महीने की पढ़ाई बर्बाद हो चुकी है और अब ये रिज़ल्ट काफी उदास करने वाला है। इस पूरे प्रकरण से आहत अवनीश ने अपने फेसबुक पर लिखा है इतना लड़ने के बाद भी मैं हार गया। वाह रे मेरा देश.. वाह रे सिस्टम ….आप सब भी देख लीजिये।  

एक दसवी क्लास का छात्र अगर अपने देश की शिक्षा व्यवस्था से हारकर अगर ये बातें लिखे तो उसके बाद शायद ही कुछ लिखने को रह जाए।

 

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