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एक पिता जिसने बेटियों के पीरियड्स में पर्दा नहीं किया बल्कि ज़िम्मेदारी निभाई

अक्सर हमारे घरों में सिखाया जाता है कि पीरियड्स की बातें पापा के सामने नहीं करना। पापा के साथ बैठे होने पर सेनेटरी नैपकिन का विज्ञापन आते ही हम असहज महसूस करने लगते हैं।

घर में किसी भी पुरुष के सामने पैड निकालने में तो ऐसे हिचकिचाते हैं, जैसे हम कोई बड़ा पाप कर रहे हों। एक बेटी और पिता के बीच इस मामले में पूरा पर्दा बरता जाता है।

पीरियड्स

एक पिता जो पीरियड्स को लेकर जागरूक है

हम आपको मिलवाते हैं पिता-बेटी की एक ऐसी जोड़ी से जो इन मामलों में ज़रा भी पर्दा नहीं करते। इस पिता-बेटी की जोड़ी में पिता ही अपनी बेटी को पीरियड्स के बारे में सारी जानकारी देता है। उसे समझाता है कि उस दौरान किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, पीरियड्स में साफ-सफाई कितनी ज़रूरी है, जैसी कई बातें।

यह पिता हैं गुड़गाव निवासी सत्यवीर। सत्यवीर अपनी बेटियों से इस बारे में खुलकर चर्चा करते हैं। सत्यवीर का मानना है कि महावारी एक सामान्य बात है, इस पर पर्दा करने जैसी कोई बात ही नहीं।

सत्यवीर अपनी बेटियों को एक दोस्त के रूप में देखते हैं। सत्यवीर का मानना है कि इस उम्र में बच्चों को अपने माता-पिता के सहयोग की बहुत ज़रूरत होती है। अगर हम ही खुलकर बातें नहीं करेंगे तो बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

पत्नी के संकोच के कारण पिता ने बेटियों को समझाया

सत्यवीर की पत्नी अपनी बेटियों से इस विषय पर खुलकर बात नहीं करती इसलिए सत्यवीर ने इसकी पूरी ज़िम्मेदारी खुद उठाने का फैसला किया। सत्यवीर का कहना है कि पत्नी के संकोच के कारण मेरी ज़िम्मेदारी ज़्यादा बढ़ गई कि मैं अपनी बेटियों से इस बारे में खुलकर चर्चा करूं।

एक दिन बेटी के स्कूल से सत्यवीर को फोन आया। उनकी बेटी की तबीयत बिगड़ गई थी। सत्यवीर ने फोन पर ही अपनी बेटी से बात की, बेटी काफी घबराई हुई थी। किसी तरह उसने अपने पापा को बताया कि उसे खून आ रहा है। सत्यवीर ने अपनी बेटी से कहा कि यह बात अपनी टीचर को बताओ। शाम को बेटी के घर वापस आने पर सत्यवीर ने उसे सारी बातें बताई। महावारी क्यों होती है, किस उम्र में होती है, इस दौरान क्या करना चाहिए जैसी तमाम बातें।

सत्यवीर और उनकी बेटी

 

आज सत्यवीर की दोनों बेटियां अपनी हर परेशानी पिता से ही साझा करती है। महावारी से संबंधित कोई भी समस्या हो तो वे अपने पिता को बेझिझक बताती है।

सत्यवीर बताते हैं कि एक बार मेरी बेटी को खून ज़्यादा गिरने लगा। मेरी बेटी ने तुरंत मुझे इसकी जानकारी दी। बिना देरी किए हुए मैं उसे डॉक्टर के पास ले गया। अगर मेरे और मेरी बेटी के बीच इस विषय पर खुल कर संवाद नहीं होता तो शायद वह मुझे कुछ नहीं बताती और उसकी तबीयत ज़्यादा बिगड़ भी सकती थी।

सत्यवीर का मानना है कि इस पर खुलकर चर्चा नहीं करने से औरतों को काफी कुछ झेलना पड़ता है। यह उनके स्वास्थ से जुड़ा विषय है।

सत्यवीर की बेटियां अपने पिता के साथ ही बाज़ार से सेनेटरी नैपकिन की खरीदारी करती है। सत्यवीर का कहना है कि मुझे इसमें शर्म की कोई बात ही नहीं लगती। इसे शर्म में बांधना ही सबसे बड़े शर्म की बात होगी।

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