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आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स

आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स कंप्यूटर साइन्स का वो हिस्सा है जो आने वाले समय में प्रभावशाली साबित होगा. ये ना केवल हर जगह अपनी अहम भमिका निभायेगा.  ये कहना पूरी तरह गलत होगा की रोबाटिक्स आने वाले समय में मानव जगह ले लेगा, बल्कि ये रोज़गार का केवल नया विकल्प बनेगा साथ ही लोगो के काम आसान करेगा. जब देश के पूर्व प्रधान मंत्री कंप्यूटर को इंडिया में लाने की दिशा में अपनी कवायत कर रहे थे, तब कुछ लोगो ने उनका काफ़ी विरोध किया था, लेकिन आज जो डिजिटल इंडिया का सपना भारत ने देखा है, उसका सही मायने में ये इसका श्रेय राजीव गाँधी को जाता है. क्या मशीनी मानव संभव है ? क्या मशीने मानव को विस्थापित कर सकती है? क्या मशीने मानव मस्तिष्क के तुल्य हो सकती है? क्या उनमें मानवों जैसी भावनायें आ सकती है? क्या कृत्रिम बुद्धी का निर्माण संभव है ? ढेर सारे प्रश्न है, ढेर सारी संभावनाएं ! किसी बुद्धिमान वस्तु के आत्म-चेतन होने की जांच तो और भी बडी़ समस्या है। तथ्य यह है कि बुद्धिमत्ता बाह्य व्यवहार से प्रदर्शित होती है और यह एक ऐसा गुणधर्म है जिसी भिन्न जांच मानको से मापा जा सकता है, लेकिन आत्म-चेतन हमारे मस्तिष्क का आंतरिक व्यवहार है जिसे मापा नही जा सकता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता मे पिछले अनुभवों को सीमित मात्रा मे सूचना के रूप मे संरक्षित रखा जाता है और उसे विश्व के प्रोग्राम रूप मे माना जाता है। इस सीमित स्मृति के आधार कृत्रिम बुद्धिमत्ता निर्णय लेती है और उसके आधार पर अपना कार्य निर्धारित करती है।कोई रोबोट किसी मानव को हानि नही पहुंचायेगा या अपनी किसी निष्क्रियता द्वारा किसी मानव को हानि पहुंचने नहीं देगा।रोबोट मानव द्वारा दिये गये निर्देशो का पालन करेगा बशर्ते वे निर्देश नियम एक का उल्लंघन ना करते हों।रोबोट  स्वयं के अस्तित्व की रक्षा करेगा बशर्ते उसकी रक्षा मे नियम एक और दो का उल्लंघन ना हो! नैतिक मूल्यों को एक तरफ रख कर सोचा जाये तो यह तय है कि आत्मचेतन मशीन का निर्माण एक मील का पत्थर होगा और तकनीकी क्षेत्र मे एक क्रांति होगा। यह मानव मन के नये क्षितिज को छूने की सनातन चाहत के लिये सबसे बड़ी प्रेरणा होगी और विज्ञान विकास मे एक नया मोड होगा। एक ऐसे कृत्रिम मस्तिष्क का निर्माण जो जैविक मस्तिष्क पर आधारित हो, हमारे ज्ञान के तेजी और भरोसेमंद तरीके से स्थानांतरित करने मे सहायक होगा और अमरता की ओर एक कदम होगा।

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