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“शिक्षिका कार्य से ही नहीं व्यक्तित्व से भी शिक्षिका”

एक शिक्षिका सुबह उठकर अपने लिए और अपने परिवार के लिए नाश्ता बनाती, अपने लिए दोपहर के खाने के लिए कुछ पैक करती है और सुबह 7:15 बजे तक स्कूल पहुँचने के लिए दौड़ती है फिर दिन भर बच्चों को पढ़ाने में लगी रहती हैंI
यह हर एक शिक्षिका की दैनिक रूपरेखा है परन्तु कुछ शिक्षिकायें अपने कार्य से ही नहीं अपने वक्तित्व से भी शिक्षिका हैंI
परी मैडम उसमे से एक हैं:
परी मैडम स्कूल के लिए जा रही थी तभी उनकी नज़र एक बूढ़े गरीब पर पढ़ी जो शायद रात भर से भूखा था उसने मैडम की तरफ उम्मीद की नज़र से देखा और खाने के लिए कुछ मागा मैडम ने बिना कुछ सोचे अपना दोपहर का खाना उस बूढ़े गरीब को दे दिया, स्कूल में पढ़ते और पढ़ाते बच्चों और शिक्षकों दोनों को ही दोपहर तक भूख लगाने लगती हैI सभी शिक्षक और बच्चे अपने अपने घर से लाये दोपहर के खाने को खाने लगे पर परी मैडम के पास तो आज खाने को कुछ नहीं थाI मैडम बच्चों के पास गयी और उनसे उनके साथ खाने को पूछा बच्चे यह सुनकर बहुत खुश हो गये के आज उनकी परी मैडम उनके साथ खाना खायेंगी परी मैडम ने बच्चों के साथ खाना खाया और अपने सुबह के अनुभव को बच्चों के साथ साझा किया बच्चों ने अपनी शिक्षाकी से इंसानियत और प्यार दोनों ही पढ़कर नहीं उनके व्यक्तित्व से सीख लिएI

ऐसी शिशिकाओं/शिक्षकों को दिल से सलाम

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