अपनी दोस्त के कमरे के बाहर काफी दिनों से मैं लड़के का जूता देख रही थी। मुझे लगा शायद उसके यहां कोई लड़का आया हुआ है। लेकिन, दो दिनों बाद पता चला कि वो जूता तो उसकी एक महिला मित्र का था। ये बात पता लगने पर बिल्डिंग की ही एक लड़की ने कहा, “अरे तू तो मर्द है मर्द, लड़को वाले जूते पहनती है।” वह बात तो उस वक्त मज़ाक में उड़ गई, लेकिन उस लड़की के अंदर एक मलाल था एक शर्म थी जो हमने ज़बरन उसके अंदर बोया था।
वो लड़की भी चाहती है कि मार्केट में आ रहे नए डिज़ाइनर कपड़े और फूटवेयर्स पहने। लेकिन, उसके लिए ये संभव नहीं हो पाता। उसे मुश्किल से ही लड़कियों वाले कपड़े फिट आते हैं। उसके वॉर्डरोब में अधिकांश कपड़े मेन्स सेक्शन से ही खरीदे हुए हैं। जब भी वो पुरुषों के स्टोर से कपड़े खरीदने जाती है तो अनेक निगाहें उसपर ऐसे टिकी होती हैं, मानो वो कोई बड़ा गुनाह कर रही हो।
यह सिर्फ उस लड़की की कहानी नहीं है बल्कि हमारे आस-पास कई लड़कियां इन परिस्थितियों से होकर गुज़र रही हैं। ना सिर्फ बड़े साइज़ के साथ ये परेशानी होती है बल्कि अगर आप बहुत पतली हैं या फिर आपका कद छोटा है तो भी आपको इस तरह की परेशानी झेलनी पड़ती है। कुछ लड़कियों को अकसर यह सुनना पड़ता है, “तू तो किड्स सेक्शन से कपड़े खरीदती होगी।”
दरअसल, हमारे बाज़ार ने महिलाओं के शारीरिक बनावट का एक निश्चित पैमाना निर्धारित कर लिया है और उसी आधार पर मार्केट में महिलाओं के कपड़े आते हैं। अगर कोई लड़की बाज़ार के उस निश्चित पैमाने पर खड़े नहीं उतरती तो उसे या तो पुरुषों के सेक्शन की ओर या कई बार किड्स सेक्शन की ओर भी रुख करना पड़ता है।
और बाज़ार के इसी तय ढर्रे को तोड़ने की एक कोशिश हम कर रहे हैं अपने कैंपेन #MoreThanOneSize के साथ। अगर आपको भी अपने साइज़ की वजह से कपड़े या अन्य प्रॉडक्ट्स ढूंढने में परेशानी होती है, स्टिरियोटाइप्स का सामना करना पड़ता है, या आपको भी लगता है बाज़ार का रवैय्या बदलना चाहिए तो शेयर करिए अपनी कहानी, अपने अनुभवों को हमारे साथ #MoreThanOneSize हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए। आइये बाज़ार के इस भेदभाव को एक धक्का साथ मिलकर दें।