Site icon Youth Ki Awaaz

गोपाल कृष्ण गांधी: कभी थे उपराष्ट्रपति के सेक्रेटरी आज हैं उम्मीदवार

पूर्व राजनयिक व महात्मा गांधी के परिवार से ताल्लुक रखने वाले गोपाल कृष्ण गांधी को विपक्षी पार्टियों ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने अब तक इस पद के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव 5 अगस्त को होने वाला है।

71 वर्षीय गोपाल कृष्ण गांधी की छवि साफ-सुथरी है। राजनयिक के रूप में उनका कार्यकाल बेहद शानदार रहा है। उन्होंने कई देशों में भारत के राजदूत के रूप में काम किया और पश्चिम बंगाल के गवर्नर भी रहे। गोपाल कृष्ण महात्मा गांधी के सबसे छोटे पुत्र देवदास गांधी के बेटे हैं। उनका जन्म दिल्ली में हुआ और दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज से उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातक किया।

यह संयोग ही है कि गोपाल कृष्ण गांधी के पिता देवदास गांधी का जन्म दक्षिण अफ्रीका में हुआ और गोपाल कृष्ण गांधी ने उसी दक्षिण अफ्रीका में भारत के राजदूत के रूप में अपनी सेवा दी। दूसरा संयोग उनके और उनके पिता के जन्म की तारीख को लेकर है। देवदास गांधी का जन्म 22 मई 1900 को हुआ और उसी तारीख में यानी 22 तारीख को ही अप्रैल, 1946 में गोपाल कृष्ण गांधी का जन्म हुआ। दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों में वह भारत के राजदूत रहे। इससे पहले उन्होंने तमिलनाडु में 17 साल तक आईएएस अफसर के रूप में अपनी सेवा दी। 1985 से 1987 तक वह उपराष्ट्रपति के सचिव और इसके बाद तीन वर्षों तक यानी 1992 तक वह राष्ट्रपति के सचिव रहे।

इसके बाद वह दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों में भारत के राजदूत रहे और वर्ष 2003 में रिटायर हुए। वह थे तो नौकरशाह लेकिन कभी भी इसे खुद पर हावी होने नहीं दिया व ज़मीन से जुड़कर काम करते रहे। 14 दिसंबर 2004 में उन्हें पश्चिम बंगाल का गवर्नर बनाया गया। गर्वनर के रूप में उनका कार्यकाल उल्लेखनीय रहा। इस दौरान विपक्षी पार्टियों के लिए वह आदर्श गवर्नर रहे लेकिन सत्तासीन वाममोर्चा की आंखों की किरकिरी बने रहे।

14 मार्च 2007 को ज़मीन अधिग्रहण को लेकर पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में पुलिस फायरिंग में 14 लोगों की मौत हो गयी थी। गोपाल कृष्ण गांधी ने इस घटना को ‘कोल्ड हॉरर’ करार देते हुए कहा था कि इसे रोका जा सकता था।

इस बयान के लिए वाममोर्चा ने उनकी खूब आलोचना की थी। इससे पहले हुगली ज़िले के सिंगुर में टाटा की नैनो कार परियोजना को लेकर भी उन्होंने तत्कालीन वाममोर्चा सरकार को आड़े हाथों लिया था।

गवर्नर रहते हुए वह अक्सर पश्चिम बंगाल के गांवों की सैर पर निकल जाते थे। वह भले ही वाममोर्चा सरकार के निशाने पर रहे लेकिन वर्ष 2009 में गवर्नर का कार्यकाल समाप्त होने पर बंगाल छोड़ने से पहले उन्होंने पूर्व सीएम ज्योति बसु से मुलाकात की थी। गोपाल कृष्ण गांधी का साहित्य से भी लगाव है। वह कई किताबों का हिन्दी में अनुवाद कर चुके हैं और उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं।

वर्ष 2014 के आम चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र लिखकर कई नसीहत दी थी। यही नहीं, पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को लेकर भी उन्होंने पाकिस्तानी सरकार को भी उन्होंने पत्र लिखा था।

गोपाल कृष्ण गांधी के विचार को समझने के लिए वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के नाम लिखे पत्र के एक अंश को पढ़ना ज़रूरी है, जिसमें वह लिखते हैं, “शाही और वैचारिक प्रतीक आपसे अपील करते हैं। अपने संघर्ष में आप महाराणा प्रताप बनिए, लेकिन आप अकबर में भी विश्वास कीजिए। अगर आप रखना चाहते हैं तो अपने दिल में सावरकर को ज़रूर रखिए, लेकिन मन से आप अंबेडकर बनिए। अगर बनना चाहते हैं तो आप हिन्दुत्व का आरएसस प्रशिक्षित विश्वासी ज़रूर बनिए लेकिन 69 प्रतिशत लोग जिन्होंने आपको वोट नहीं दिया है, वे जैसा चाहते हैं वैसा वज़ीर-ए-आज़म भी बनिए।”

Exit mobile version