व्यापारी या कारोबारी हड़ताल इसलिये नहीं कर रहा हे की टैक्स लग रहा है।
उसके जो कठिन नियम है उसके लिये कर रहा है।
खास तोर पर तो GST का विरोध आम जनता को करना चाहिये
क्योकि टेक्स का पैसा उनकी जेब से जायेगा मरेगी तो जनता ।
आम व्यक्ति खुद ही बिल नहीं लेता टेक्स बचने के लिये और चोर ठहराता हे बेचारा व्यापारी।
अभी जो व्यक्ति ख़ुशी ख़ुशी बगैर बिल के जो शर्ट 500 रुपए में ले आता था जब 560 रुपए देने पड़ेंगे तब पता चलेगा की व्यापारी क्या करता था,
खुद चोर कहला के जनता का भला करता था।
जो कूलर बगैर बिल के 3000 रूपये में ले आता था उस पर हो सकता है व्यापारी 200 या 300 रुपए कमाता था पर अब जब 3840 देने पड़ेंगे तब समझ पड़ेगी की ये डाका व्यापारी को नहीं ये तो हमारी जेब पर पड़ा है
और उस आम जनता को हार्ट अटेक आ जायेगा जब पता चलेगा की उसने जो टैक्स दिया उस पेसे से सरकार ने खुद के नाम से लेपटॉप बाट दिये
या कोई अख़लाक़ जैसे को 1 करोड़ मुआवजा दे दिया
या 3 रुपए किलो की प्याज 8 रुपए किलो खरीद कर सड़ा दी। सिर्फ वोट पाने के खातिर।
और हा करोड़ों रुपए उन कई जनप्रतिनिधियों को तनख्वाह में भत्ते में या सुविधा में बांट दिए जो की जनता का कोई भी भला नहीं कर रहे हैं। कुछ लोग इन में भी है जो कि वह जनता का भला सोचते हैं पर ज्यादातर स्वयं का भला करते हैं।
शायद मोदी जी भी अगर हमारी जगह होते तो इसका विरोध करते।
हमारा विरोध सिर्फ इतना है कि हम से वसूला गए टैक्स की बंदरबांट ना हो और उसका सही उपयोग हो जो कि नहीं होता है।
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*सोचिएगा जरूर*