आखिर क्या चाहता है न्यू इंडिया और क्या है इसकी प्रथमिक्ताए…
“”आज न्यू इंडिया की चर्चा बड़ी जोरो पर है..लेकिन क्या हम सिर्फ न्यू इंडिया बनाने में सक्षम है हमे ऐसा क्या करना होगा की हम आने वाली पीढ़ियों को एक उन्नत और खुशहाल भविष्य दे सके..आज लोग तनाव..हताशा..बेरोजगारी..गरीबी..जेसे विकट परिस्थितयो से गुजर रहे है…आजादी के 70 वर्षो बाद भी हम एक सम्रद्ध भारत न बना सके इसके लिए हम सभी अनोपचारिक तौर पर जिम्मेदार है…हम स्वार्थी..और निजी लालच..और स्वयम् के काम निकाल लेने में महारत हासिल कर चुके है..तो स्वाभाविक रूप से हम आज की तथा आने वाली पीडी में यह बिज आनुवांशिक तौर पर बो चुके है…आनुवंशिक बीमारियो को अगर बचपन में ना पहचाना जाए तो ये इनका हल मुश्किल हो जाता है…न्यू इंडिया बनाने के लिए हमे सबसे पहले हमारी शिक्षा प्रणाली में बदलाव करना होगा..हमारी शिक्षा प्रणाली इतनी नाजुक है की ये देश के नब्बे प्रतिशत युवाओ को बिना भटके हुए रोजगार प्रदान नही कर सकती..हम स्किल डेवलॅपमेंट पर काम कर रहे है लेकिन स्किल डेवलपमेंट से पहले स्किल को जानना आवश्यक है हमारी ज्यादतर युवा पीडी समय रहते अपने हुनर को ही नही पहचान पाती..और जब जान पाते है तब बहुत देर हो चुकी होती है..अपने काम में लगे रहना यही अध्यात्म है और मनचाहे कार्यक्षेत्र में काम नही कर पाना अपनी क्षमताओ का पूरा उपयोग नही कर पाना यही से तनाव..नशा..निराशा..जेसी व्याधियां जन्म लेती है..हमे अपने बच्चों को माध्यमिक शिक्षा तक ही अपने हुनर का परिचय दिलाना आवश्यक है..बड़ी सफलताए हासिल करने वाले लोग अपने काम को कम उम्र में ही जान लेते है..इसलिए वो सफल है..यह देश सम्भावनाओ से घिरा पड़ा है..यह देश विश्व का नेतृत्व करने में सक्षम है..,लेकिन यहा की आने वाली पीडी एक विकलांगता के दौर से गुजर रही है..तो कैसे हम विश्व गुरु बन पाएगे…यहा हर गली में मोहल्ले में बचपन से एक दूसरे के धर्म के प्रति ग्लानि भाव पैदा किया जाता है..एक दूसरे की जातियो पर टिपण्णियां की जाती है…हमारी संस्कृति को हम अगर धार्मिक आडम्बरो से ना भी देखे तो उसके दूसरे पहलू जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भरा पड़ा है ये उन ऋषि मुनियो ने प्रत्येक समस्याओ के हल ही नही बताये जबकि उन्होंने तो समस्याए आए ही नही उसके उपाए पहले से ही तय कर दिए थे..ये दौर बहुत हिंशक व्यग्र और नकारात्मक होता जा रहा है..अगर अभी देर कर दी तो हम कुछ वर्षो में एक ऎसे जहाज पर सवार हो जाएगे जिसका कोई पायलट नही होगा..जिंदगियां अनियंत्रित हो जाएगी…हमारी संस्कृति स्वस्थ सभ्यता..और महान विरासत के वंशजो का इस हाल में होना कहि हम सभ्यता संस्कृति के विलुप्तिकरण क़े दौर में तो नही जा रहें है..हमे इन जातिगत..धर्म ग्लानियो,.राजनेतिक दृष्टिकोण से ऊपर उठकर मनन करना होगा की क्या हम न्यू इंडिया हमारी महान सभ्यता संस्कृति का अपडेट वर्जन ला रहे है या पश्चिमी अनेतिक सभ्यता को धारण करने में लगे है…फैसला हमारे हाथो में भविष्य में कैसा होगा हमारा भारत..न्यू इंडिया अपडेट वर्जन(विथ ग्रेट कल्चर इंडिया)
या
न्यू इंडिया अपडेट वर्जन( विथ वेस्ट कल्चर डबिंग वर्जन..)
प्रवीण ओमप्रकाश ( फ्रीलान्स ideologist राइटर)मोटिवशनल स्पीकर)