हम याद रखें कि भीड़ जब किसी एक इंसान को घेरकर मारती है तो दरअसल वह इंसान को नहीं, समाज को मारती है। मरने वाला तो एक होता है पर वह अनेकों को हत्यारा बना डालता है। यही तो सब तरफ हो रहा है! देखिए कितने हत्यारे सड़कों पर उतर आए हैं! क्या हम ऐसा ही भारत बनाना चाहते थे? नहीं!!
सारा देश भीड़ में बदला जा रहा है और हर भीड़ को एक नाम देकर, उन्हें आपस में लड़ाया जा रहा है! कोई हिंदू वाहिनी है, कोई भगवा ब्रिगेड है; कोई धर्मरक्षक सेना है तो कोई गौ-रक्षक है! और ये सभी मिलकर उस एक निहत्थे आदमी को मार रहे हैं जो दूसरा है। जो इनसे सहमत नहीं है वह समाज में रहने का अधिकारी नहीं है, ये ऐसा माहौल बना रहे हैं। यह तो समाज को गृहयु्द्ध में झोंकना है, हिंदुस्तान की जड़ पर चोट करना है। हम इसे बहुत गंभीरता व चिंता से देख रहे हैं और इससे अपनी असहमति की घोषणा करने सार्वजनिक रूप से सामने आ रहे हैं।
सवाल है कि क्या देश को तोड़कर आप देश को बचा सकते हैं? यह काम तो पाकिस्तान बनाने के लिए जिन्ना ने किया था! क्या हुआ उनके पाकिस्तान का? सवाल है कि क्या आदमी को मारकर आप आदमियों का समाज बना सकते हैं? हिंसा कभी भी कहीं भी न्यायोचित नहीं है, किसी को हक़ नहीं कि वह किसी इन्सान को किसी भी नाम पर सज़ा देने लगे। प्रशासन का कर्तव्य है कि वह इन घटनाओं को सख्ती से रोके और जो दोषी है उसे तुरंत कड़ी सज़ा दे।
आज केंद्र और राज्य सरकारों की छवि ऐसी बनती जा रही है कि वे कानून के नहीं, कानून तोड़ने वालों के साथ हैं! अपराधी जमातों को जब यह लगने लगे कि सत्ता अपने साथ है तो समझिए कि लोकतंत्र खत्म हुआ और भीड़तंत्र शुरू हुआ! हमारा संविधान देश के हर नागरिक को इज्ज़त से जीने का हक देता है और इस हक की रक्षा करने का दायित्व समाज और सरकार दोनों का है। जब भी और जहां भी सरकारें अपना दायित्व भूलें वहां जनता को आगे बढ़ कर उसे जगाना चाहिए, यही लोकतंत्र है।
देश जलाने वाली इस आग से हम पहले भी गुजरे हैं और अपना देश तोड़ बैठे हैं। क्या हम फिर उसी रास्ते जाना चाहते हैं?
हम ऐसे हिंसक लोगों से न तो सहमत हैं, न इनके साथ हैं! हम सभी से– हर जाति, धर्म के स्त्री-पुरुषों से, मालिकों-मजदूरों से, विद्यार्थियों-शिक्षकों-वकीलों-डॉक्टरों से तथा हर युवाओं-युवतियों से कहते हैं कि आओ, सब आओ! हम एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर चलेंगे और हर हिंदुस्तानी की रक्षा में तैयार खड़े रहेंगे इस संकल्प के साथ कि “हिंसा करेंगे नहीं, हिंसा सहेंगे नहीं!” आइये देश में एकता समानता शांति के लिए एकजुट हों!
#NotInMyName जैसे प्रतिरोध से अपना समर्थन जताते हुए राष्ट्रीय युवा संगठन द्वारा 5 जुलाई से देश भर के अलग अलग जगहों पर आवाज़ उठाई जा रही है कि किसी भी नाम पर हिंसा करने वालों के ना हम साथ हैं, ना हम उनसे सहमत हैं।