आज हम विश्वगुरु बनने के मार्ग पर निरन्तर प्रयासरत हे किन्तु हम महज भौतिक संसाधनों में सर्वोच्चता प्राप्त कर वहा तक नही पहुच सकते और यदि पहुच जाए तो भी वो विश्वगुरु होने की सम्पूर्णता नही होगी,,,हमारे प्राचीन धर्मग्रंथ हमे बताते आए हे की शिष्य ही गुरु का अनुसरण करते हे कभी गुरु शिष्य का नही,,हिन्द के सबसे परिपूर्ण मानव और मनुष्य जाती के लिए आदर्श भगवान श्री राम ने भी समस्त सिद्धिया व् विजय प्राप्त करने के पश्चात भी गुरु का अनुसरण करते थे,,हमे हमारी संस्कृति यही सिखाती आई है,की हम ओरो के बनाये रास्तो पर नही चले और के लिए तय किये गए पैमानों को ना अपनाए ,,हम अपने रास्ते स्वयं स्थापित करे ओर अपने पदचिन्ह छोड़ जाए जिस का अनुसरण समस्त विश्व करे,,,इसमे कोई विरोधाभाष नही की हमारी सभ्यता संस्कृति अनुपम है,,लेकिन बहुत दुःख की बात यह हे की हम विश्वगुरु बनना चाहते है,,और हमारी भाषा अंग्रेजी है ,,हम भूलवश हमारे बच्चों के जरूरत से अधिक पश्श्मि होने पर गर्व करते हे,,हमारे युवा स्वयं को पश्चिमीकरण कर रहे हे,,हम ना ही हिंदी बोल रहे और ना ही अंग्रेजी हमने एक नई बोली की उतपत्ति की हे जिसे “हिंगलिश “कहा जा सकता हे,,हमारे समाज में अंग्रेजी जानने और हिंदी बोलने वालो को उच्च और निम्न वर्ग में विभाजित कर दिया हे,,और एक गहरी खाई स्थापित की हे,ये सभी विश्वगुरु होने के संकेत नही हे दोस्तों,,भाषा उनकी,,सभ्यता उनकी,,सबकुछ उनका तो फिर हम कैसे गुरु हुए,,हमे हमारे पाठ्यक्रम से ,शासकीय दस्तावेजो से और समस्त महत्वपूर्ण कार्यक्रमो में पूर्णतः अंग्रेजी भाषा को दूसरे दर्जे की भाषा घोषित किया जाना चाहिए, यह सिर्फ भाषा ज्ञान विषय हेतु उपलब्ध रहे,,आज दुनिया व्यापार व शिक्षा के लिए हम पर आश्रित हो रही हे भारत एक बड़े वेश्विक बाजार के रूप में उभरा हे,,सीधी सी बात हे उन्हें आना होगा तो आयेगे ही जेसे हम विदेश जाकर अंग्रेजी सीखते हे वो आए और हिंदी सीखे ये समस्या और जरूरत उनकी हे हमारी नही,,सब कुछ सम्भव हो सकता हे क्योकि आने वाले दिनों में हमारे पास हर क्षेत्र् में अपार संसाधन होंगे संभावनाए होगी ,,लेकिन हम हमारी संस्कृति को भूलकर उनके रास्तो पर चलेगे तो हम हमेसा अधूरे रहेगे,,और हमे दुनिया पर शासन करना हे तो हमारी हिंदी के उसके खोये हुए अधिकार पुनः प्रदान करने होंगे,,अन्यथा हिंदी के साथ ही हमारी सभ्यता का आस्तित्व भी संकट में पड़ जाएगा,,और इसके लिए समाज के शिक्षित वर्ग ,,समाचार पत्रो समूह तथा विभिन्न क्षेत्रो के लोग को साथ आकर हिन्द में हिंदी के लिए इक क्रांति अभियान प्रारम्भ करना होगा,,अन्यथा हम हर वर्ष इसी तरह हिंदी दिवस पर कोसने वाली कार्यवाही करते रहेगे,,
प्रवीण ओमप्रकाश नामदेव,,,
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