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राजनीति में मचा भूचाल

आजादी के वक्त जब लोकतंत्र की नीव रखी जा रही थी उसी दौरान राजनीति का एक नया अध्याय लिखा गया । जिसमे कांग्रेस एक राष्ट्रीय व बड़े लोकतांत्रिक पार्टी के रूप में उभरी , वहीं आज राजनीतिक परिदृश्य बहुत कुछ परिवर्तित हो चला है , आज राजनीति- विघटन ,टूट ,जुमलेबाजी तक सिमट कर रह गई है । बदला नहीं तो बस माहौल , तब भी मुख्य पार्टी कांग्रेस का कोई प्रतिस्पर्धी नही था और ‘आज के’ बीजेपी का भी कोई बड़ा प्रतिस्पर्धी नही है ।

 

कांग्रेस को शुरू से ही दमदार राजनीतिक नेतृत्व का सानिध्य मिला है चाहे वो जवाहरलाल नेहरु के रूप में हो या इंदिरा व राजीव गाँधी के रूप में , परिणाम स्वरूप आजादी के 70 साल में से 5 से ज्यादा दशकों में राष्ट्रिय व राज्य स्तर पर कांग्रेस ने शासन किया । लेकिन आज कांग्रेस के हालात सब के सामने है , एक मजबूत राजनीतिक नेतृत्व की टोह ढूढ़ रही यह पार्टी हासिये पर चली गई है जिसका सबसे बड़ा फायदा मिला पूर्व में मुख्य विपक्षी रही बीजेपी को , 2014  लोकसभा चुनाव इसका सबसे बड़ा उदहारण है ।

 

पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की खस्ताहाली व भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपों के कारण , अपनी जीत को ले नरेन्द्र मोदी नित भाजपा ने चुनाव प्रचारों के दौरान दिन-रात एक कर दिया । इस क्रम में भाजपा ने कई मुद्दे व ‘जुमले’ उठाए जिसके परिणाम आज हम सब के सामने है । तो आइए समझने की कोशिश करते है उन्ही मुद्दो में कुछएक को और उन पर अब तक हुई प्रगति को –

 

1 )  गुजरात मॉडल –  चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री ने गुजरात मॉडल का जिक्र करते हुए प्रदेश मे हुए अपने कार्यकाल में राज्य की कायाकल्प बदलने की बात कही थी । आपको यह जान कर कोई हैरानी नही होगी की गुजरात शुरू से ही एक समृद्ध राज्य रहा है बावजूद इसके गुजरात की वार्षिक औसत विकास वृद्धि दर 2004-05 से 2011-12 के दौरान 10.08 रही । वही महाराष्ट्र की इस दौरान औसत वृद्धि दर 10.75  और तमिलनाडु की 10.27  प्रतिशत रही । अगर दूसरी तरफ केंद्र की बात करे तो मोदी सरकार के तीन साल में देश की औसतन जीडीपी 7 प्रतिशत से ज्यादा रही , जो की हामारे पड़ोसी देश चीन से भी ज्यादा हैं  ।

 

2 )  कालाधन  –  चुनाव के दौरान बीजेपी ने कांग्रेस पर जोरदार निशाना साधते हुए देश में कालाधन वापस लाने की बात कही और जनता के अकाउंट तक 15 लाख रूपये पहुचाने का जुमलेबाजी भरा बयान तक दिया । तीन साल का कार्यकाल बीतने के बाद भी मोदी सरकार , कालाधन के नाम पर ‘नोटबंदी’ के आलावा न तो ‘लोकपाल’ जैसे महत्वपूर्ण बिल को ला पाई ना ही जनता के अकाउंट तक एक पैसा पंहुचा पाई ।

 

3 )  बेरोजगारी  –  22 नवम्बर, 2013  को लोकसभा प्रचार के दौरान भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी ने जनता से ये वादा किया कि अगर केंद्र में भाजपा की सरकार आई तो हर साल एक करोड़ रोजगार उत्पन्न होगा । आज स्तिथि कुछ ख़ास नही है , बेरोजगारी मोदी सरकार के लिए एक बड़ा फेलियर बन कर उभरा है । हाल में आए लेबर ब्यूरो के एक आकडे के अनुशार रोजगार उत्पत्ति पिछले 8 सालों में सबसे ख़राब रही है ।

 

4  )  राम मंदिर  –  राम मंदिर निर्माण शुरू से ही बीजेपी के लिए एक अहम् राजनीतिक दाव रहा है । प्रचंड बहुमत के बाद उम्मीद जताई जा रही थी की अब इस क्षेत्र में मंदिर निर्माण में तेजी आएगी लेकिन दुर्भाग्य वस इसकी चर्चा या तो राज्य के चुनावी मेनिफेस्टो में या कुछ गिने-चुने नेताओं के बयानों तक ही सिमित नज़र आती है ।

 

5  )  कांग्रेस मुक्त भारत  –  भाजपा अपने इस सिद्धांत पर पूरी तरह से खरी उतरते दिख रही है क्योंकि जिस तरह से पिछले कुछ वर्षो में भाजपा की जनाधार बढ़ी है उससे कांग्रेस महज कुछ सीटों पर आ के सिमट गई है और पिछले कुछ दिनों से जारी राजनीतिक घटनाक्रम, चाहे वो नीतीश का बीजेपी के पाले में आना हो , गुजरात कांग्रेस विधायकों का भाजपा में जाना हो या यूपी विधानसभा  के सदस्यों का बीजेपी में शामिल होना हो , ये सब कही न कही संकेत कर रहे है भाजपा की उन नीतियों की ओर जिसमे अब उसकी निगाहे कांग्रेस की जगह विपक्ष मुक्त भारत की बनती जा रही है , जो की लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकता है ।

 

इन तमाम बिन्दुओं पर चर्चा करने के बाद यह स्पष्ट है कि विपक्ष को आने वाले 2019  लोकसभा चुनाव के लिए अभी से कमर कसना होगा । भाजपा के बढ़ते जनाधार को टक्कर देने के लिए विपक्ष को जरूरत है एक अटूट व आकंठ महागठबंध की और उसका नेतृत्व करने वाले एक आकर्षक चेहरे की ।

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