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उत्तर प्रदेश में 37 बच्चो की मौत

37 बच्चो का एक ही रात में ऑक्सेजन की कमी से दम तोड़ देना। प्रशासन की संबेदन हीनता और लापरवाही का एक उदाहरण है। बहुत दुख की बात है। वही किसी एक डॉक्टर ने संवेदनषीलता की मिसाल पेश की वरना ये आंकड़ा और बड़ा होजाता टीवी न्यूज से पता चला कि वो डॉक्टर रातभर अपनी गाड़ी से सिलिंडर व्यक्तिगत आधार पर जुगाड़ करता रहा।
ये जनता की ही ताकत है कि मीडिया इस घटना को कवर करने पे मजबूर है।
अब क्या होना चाहिए ।निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को कड़ी सजा तो होनी ही चाहिये ।इसके आगे भी कुछ करने की जरूरत है, वो ये की किसी की भी लापरवाही से यदि मौत होती है , चाहे हॉस्पिटल हो या सड़क या कही भी, संबंधित व्यक्ति पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कर उचित कार्यवाही होनी चाहिए।
इस देश मे रोज़ लगभग 5000 सड़क हादसे होते है जिसमे लगभग 400 लोग रोज मर जाते है जिसमे कम से कम 200 तो सड़क में गड्ढों की वजह से मरते है।किसपे कारवाही होती है? जनता चुप रहती है। एक मेल सोसल मीडिया पर सड़क की हालत का पोस्ट तो करना दूर लाइक और शेयर करने से भी लोग दूर रहते है। तो फिर ये लापरवाही कोई नई बात नही है।

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