गोरखपुर में 60 बच्चों की मौत हो गई, इसे मौत नहीं हत्या कहना ज़्यादा बेहतर होगा। इतनी बड़ी गलती कोई कैसे कर सकता है? लेकिन सवाल योगी जी पर नहीं उठेंगे, क्यों? क्योंकि योगी (तथाकथित) राष्ट्रवादी हैं? क्यों? क्योंकि योगीजी (तथाकथित) विकासपुरुष हैं? क्यों? क्योंकि योगीजी (तथाकथित) हिन्दू ह्रदय सम्राट हैं? अगर ये घटना उत्तर प्रदेश में तब हुई होती जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जगह मायावती या अखिलेश यादव होते तो तमाम (तथाकथित) राष्ट्रवादी लोग इसके लिए उन्हें ज़िम्मेदार ठहराते, जो सही भी होता। जगह-जगह पुतले जलाए जाते, विहिप वाले उन्हें देशद्रोही कहते, भ्रष्टाचारी कहते। तमाम बीजेपी के समर्थक यही कहते कि ये ‘मायावती’, ‘अखिलेश’, ‘मुलायम’ तो लोग ही खराब हैं। इनकी नीयत ही खराब है, इनसे क्या उम्मीद की जा सकती है!
बंगाल के बशीरहाट में एक लड़के ने मुहम्मद साहब के बारे में एक पोस्ट डाल दिया था। उसके बाद जो हिंसा हुई उससे बंगाल एक ही क्षण में कश्मीर/पाकिस्तान/बांग्लादेश सब बन गया था। उस बच्चे की सुरक्षा को लेकर सबसे ज़्यादा चिंतित बीजेपी/आरएसएस/विहिप के ही लोग थे। अब जब गोरखपुर में 60 बच्चों की मौत हो गयी तो लोग योगीजी से सवाल पूछने से कतरा रहे हैं? जिन लोगों का खून एक लड़के की सुरक्षा को लेकर इतना खौल जाता है कि वो बंगाल की CM को देशद्रोही/बांग्लादेशी सब कह देते हैं, उनको 60 बच्चो की मौत का क्यों कोई गम नहीं होता? क्या फर्जी राष्ट्रवाद सिर्फ JNU के खिलाफ या पाकिस्तान को गालिया देने के लिए या वामपंथियों को गाली देने के लिए ही जागता है?अगर आप खुद को योगी समर्थक मानते हैं तो आपको तो और हक़ से योगीजी से सवाल करने चाहिए, सरकार किसी भी पार्टी की हो इतनी चापलूसी ठीक नहीं।
एक टीवी चैनल की एंकर को इन बच्चो की मौतों से ज़्यादा महत्वपूर्ण “वंदे मातरम” की डिबेट लगती है। यही तो वो चाहते हैं, आप उलझे रहें राम मंदिर में, भारत माता की जय में, वंदे मातरम में, गोरक्षा में, लव जिहाद में, घर वापसी में, हिन्दू -मुस्लिम के नाम पर झगड़ने में, जातीय संघर्ष में, नेहरू के मुसलमान होने में, नेहरू के प्रेम सम्बन्धो में, गोडसे के मंदिर में ताकि आपका ध्यान ही ना जाए असली मुद्दों पर। आपका ध्यान ना जाए गरीबी पर, अशिक्षा पर, बेरोज़गारी पर, स्वास्थ सेवाओं पर, किसानों की बदहाली पर, दलितों की स्थिति पर, अंधविश्वासी समाज पर।
सवाल सबसे पूछे जाएंगे। अगर सवाल केजरीवाल/ममता/कांग्रेस से पूछे जायेंगे तो योगी/मोदी से भी पूछे जाएंगे। अगर सर्जिकल स्ट्राइक, स्पेस में सैटेलाईट जैसे कामो में आप श्रेय लेते हैं, तो फिर इन मौतों की ज़िम्मेदारी भी आपको लेनी ही पड़ेगी। हर चीज़ के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराना बंद कीजिये साहब। जनता ने कांग्रेस से तंग आकर आपको चुना है। जितना समर्थन आपको दे रहे हैं, उतना बहुत समय में किसी को नहीं दिया है। कांग्रेस ने क्या किया, क्या नहीं किया ये जनता जानती है। अब जनता ये देखना चाहती है कि आप क्या करते हैं।
हमारे मोदीजी, जो अफ्रीका के किसी देश में या ऑस्ट्रेलिया के किसी देश में तूफ़ान या बाड़ पीड़ितों के लिए भी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं! हमारे मोदीजी जो हर छोटी-छोटी बात ट्विटर पर लिखते हैं! हमारे मोदीजी जो इतनी मन की बातें हमसे करते हैं… क्या उनके मन को ठेस नहीं पहुंची इस घटना से? ये घटना तो सामने आ गई, ना जाने कितनी घटनाएं इस तरह की हो जाती हैं और हमे पता नहीं चलता। आदरणीय प्रधान सेवक ! मन व्यथित हुआ हो तो इस बार सिर्फ जुमलेबाज़ी ना करें, वाकई कुछ कर दिखाएं। हमे क्या खाना है, पहनना है, पढ़ना है, देखना है, बोलना है या सोचना है- ये हम तय कर लेंगे। आप असली मुद्दों पर ध्यान दीजिये, देश आपका आभारी रहेगा।