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नाकारा तंत्र :आलेख

मै एक दिन एक आफिस में शिकायत ले कर गया।मैने अपनी समस्या को पूरा ठीक से उसे समझाया।जाते समय वहाँ लोगो ने बताया कि जो भी आपने इससे कहा इस कर्मचारी ने नही सुना होगा।मैने पूछा क्यो तो बताया कि ये ऊंचा सुनता है आप पूरी समस्या लिख के दे दें।मैने समस्या का पूरा विवरण लिख के दे दिया।खेर काम हो गया लेकिन इस घटना से दिमाग मे एक सवाल पैदा हो गया।किस व्यक्ति ने उसे यहाँ नियुक्त किया होगा।जबकि अन्य कई जगह हैं जहाँ पर नियुक्त किया जा सकता था।कई दसको से वही समस्याये सुन रहा है।आज मूझे पूरे देश मे ये समस्या अधिकतर अधिकारियो/नेताओ के साथ मेल खाती नजर आ रही है।अंतर इतना है वो बेचारा फिजिकली अक्छम है और अधिकतर आधीकारी/ नेता मेंटली बहरे है।यानी सुनाई तो देता है पर सुनना/ समझना नहीं चाहते है और कुछ सुन तो लेते है पर कुछ एक्शन नहीं लेते लोगो के दर्द परेशानी का एहसास नही होता उन्हें।इसलिए अधिकतर ऐसे ही लोगो को पद भी दिया जाता है जो ।मेंटलीसेलेक्टिव बहरे हो यानी जो कुछ लोगो की ही सुनते हो।और तो और कई जन्मजात अंधो को रोसनी के बारे में बताने के लिए चुन लिया जाता है।और लाखों भक्त जीवन ज्ञान की वर्षा का आनंद लेते है। जो ऊपर से नीचे तक हवस से भरे है और बलात्कार तक करते है वो ब्रह्मचर्य और प्रेम का पाठ पढ़ा हरे है।जो खुद नरक में है वो स्वर्ग दिखाने का दावा कर रहे है।इसलिए बार बार ट्रैन वे पटरी हो रही है।

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