Site icon Youth Ki Awaaz

हरी साड़ी में खाकी वाला काम मतलब पुलिस वाला काम

छात्र और छात्राओं द्वारा स्थापित होप वेलफेयर संस्था के तत्वाधान में बनारस के भद्रासी, रामसीपुर और जगरदेवपुर गांवों में ग्रीन ग्रुप का गठन किया गया है। 25 महिलाओं के इस ग्रीन ग्रुप ने 3 महीने के प्रशिक्षण के बाद 30 जुलाई को SDM राजातालाब और CO सदर के निर्देशन में अपने काम की शुरुआत की। ग्रीन ग्रुप की ये महिलाएं 3 महीने के प्रशिक्षण के पहले तक निरक्षर थी और अपने अधिकारों के प्रति सजग नहीं थी, लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है। आज ये अपने अधिकारों के साथ अपने कर्तव्य के प्रति भी जागरूक हो चुकी हैं।

SDM ईशा दुहन और स्नेहा तिवारी ने इन महिलाओं को हरी झंडी दिखाकर अपने-अपने क्षेत्रों में रवाना किया। SDM ने कहा कि ग्रीन ग्रुप की मांग अब सिर्फ बनारस तक ही नहीं बल्कि हर उस जगह है जहां की महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हैं। उन्होंने देश की वीरांगनाओ को याद करते हुए पुराने ग्रीन ग्रुप की महिलाओं को चुनाव अभियान के समय उनकी सक्रिय भागीदारी तथा प्रशासनिक सहयोग देने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि इनके प्रयास से ही वोटिंग प्रतिशत में पिछली बार की अपेक्षा विधानसभा चुनाव में 10% का इजाफा हुआ। यहां बता दें कि ग्रीन ग्रुप की महिलाएं चुनाव के समय गांव से शहरों में घर-घर जाकर सोहर गीत गाकर मतदान प्रतिशत बढ़ाने हेतु लोगों को जागरूक कर रही थी।

CO स्नेहा तिवारी ने ग्रीन ग्रुप महिलाओं को पुलिस मित्र का दर्जा देते हुए हरसंभव पुलिस मदद का आश्वासन दिया और समय-समय पर पुलिस गश्त बढ़ाने का भी वादा किया। स्नेहा तिवारी ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि पहली बार जब ग्रीन ग्रुप का गठन किया गया था उस समय से अब तक यह नई सोच, बिल्कुल सही दिशा में जा रही है। इस नए विचार को लाने के लिए उन्होंने होप के युवाओं की पहल की भी सराहना की।

ज्ञात हो कि ये महिलाएं अपने-अपने गांव में जुआ, नशा तथा अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हो चुकी हैं। इनका हर कार्य अहिंसा को केंद्र में रखकर होता है। आत्मरक्षा के लिए ये महिलाएं जूडो का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर चुकी हैं। होप संस्था ने इससे पहले देवरा तथा खुशियारी गांव में भी ग्रीन ग्रुप का गठन किया था, इनके कार्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया और इन पर डॉक्यूमेंट्री भी तैयार हुई है।

पहले से तैयार देवरा और खुशियारी गांव के ग्रीन ग्रुप से वांछित परिणाम सामने आए हैं। अब इन गांवों में महिलाएं प्रधान को अपनी समस्याओं के साथ-साथ अन्य महिलाओं की तकलीफों से भीअवगत करवा रही हैं। साथ ही ये महिलाएं नौकरशाहों पर नैतिक दबाव बनाकर सवाल-जवाब भी करती हैं। बनारस मुख्यालय में अपनी शिकायतों को लेकर इनका आना-जाना अफसरों के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ है। गांव में वृक्षारोपण से लेकर स्वच्छता का संदेश घर-घर पहुंचाने और प्रधान के साथ चौपाल लगाकर सामाजिक बुराइयों जैसे– दहेज प्रथा, बाल विवाह आदि के खिलाफ भी ये मुखर हैं। इन क्षेत्रों में ग्रीन ग्रुप महिला सशक्तिकरण का दूसरा नाम है।

Exit mobile version