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6 साल की बच्ची के हाथों मल उठवाना! ये कैसा स्वच्छ भारत अभियान है?

“हेलो… हेलो सुनिए। चलिए उठिए…उठिए, जब करने यानि कि हगने की जगह दी जाए तभी करिए। नहीं तो अपना करा हुआ यानि कि हगा हुआ (मल) खुद उठाने के लिए तैयार रहिए, कारण हम स्वच्छ भारत मिशन पर जो हैं।”

शायद इतना पढ़ते ही घिन आ गई होगी। या ये भी लग सकता है कि मैं कितनी असभ्य लड़की हूं। लेकिन ये सब लिखने के लिए सभ्य लोगों ने ही प्रेरित किया है। सोमवार को मध्यप्रदेश के गुधौरा गांव में एक 6 साल की बच्ची जो कक्षा एक में पढ़ती है, अपनी शिक्षिका से पूछकर शौच के लिए गई और खुले में जाकर बैठ गई। उसी गांव का एक शख्स (पप्पू सिंह) आया, उसने बच्ची को डांटा और फिर उसे अपने हाथ से मल उठाने को कहा। 6 साल की डरी सहमी बच्ची ने अपने हाथ से मल उठाया भी!

मुझे नहीं पता उस विद्यालय में शौचालय है कि नहीं। मुझे जानकारी नहीं है कि वो बच्ची किस जाति की है और वो शख्स किस जाति का है। ना ही मैं जानना चाहती हूं। गदंगी फैलाना गलत है, गदंगी से बीमारी होती है, बीमारी से पहले गरीब आदमी ही मरता है- सब समझते हैं। लेकिन एक 6 साल की बच्ची को इस तरह अपमानित कर देना! किसी ने उससे ज़बरदस्ती मल उठवाया, ये कौन सी स्वछता है? ये कैसा समाज है? अरे ये 6 साल की बच्ची तो खुले में गई थी, कई बार पहली क्लास के बच्चे तो क्लास में ही पॉटी कर देते हैं।

कुछ दिन पहले सोशल मीडिया में एक तस्वीर आई थी जिसे ट्विंकल खन्ना ने डाला था। तस्वीर समंदर किनारे टॉयलेट कर रहे एक शख्स की थी। इसके कैप्शन में ट्विंकल खन्ना ने  लिखा- “सुप्रभात… और मुझे लगता है कि यह रहा टॉयलेट एक प्रेम कथा पार्ट-2 का पहला सीन।”

ट्विंकल खन्ना ने जो किया ये एक मानसिकता है। इसे कहते हैं किसी की गरीबी का उपहास या मज़ाक बनाना और गरीब की कोई इज्ज़त नहीं होती। मुझे लगता है कि ट्विंकल खन्ना और गुधौरा गांव के पप्पू सिंह की मानसिकता में कोई ख़ास फर्क नहीं है। जिन लोगों ने प्रतापगढ़ (राजस्थान) में जफर खान को स्वच्छ भारत के नाम पर पीट-पीट कर मारा था, उनकी भी कुछ ऐसी ही मानसिकता थी।

नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद दो अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की थी। उससे पहले लाल किले से देश को संबोधित करते हुए उन्होने कहा “गरीबों को सम्मान मिलना चाहिए और मैं चाहता हूं कि इसकी शुरुआत सफाई से हो। देश के हर एक स्कूल में शौचालय का निर्माण करवाकर इसे अंजाम दिया जाएगा, छात्राओं के लिए हर स्कूल में अलग से शौचालय का निर्माण करवाया जाएगा। ऐसा करके ही बेटियों को पढ़ाई बीच में छोड़कर जाने से रोका जा सकता है।”

यह सुनकर मन प्रसन्न हो जाता है लेकिन लाल किले से भाषण देना और ज़मीन पर उसे लागू करने में बड़ा फर्क है। इन्होंने स्वच्छ भारत अभियान की ज़िम्मेदारी ही ऐसे लोगों को दे रखी है, जिन्हें खुले में मल त्याग करते हुए लोग महज़ अपनी सिनेमा के पार्ट-2 का किरदार लगते हैं। काश! कभी ऐसा सुनने को मिलता कि किसी बच्ची ने खुले में शौच किया तो स्वच्छता के लिए चिंतित लोगों ने उसके मल को साफ किया और यह सुनिश्चित किया कि जल्द से जल्द शौचालय की व्यवस्था हो। अपने आप भारत स्वच्छ हो जाता। ना अक्षय कुमार जी को सिनेमा बनाने की ज़रूरत पड़ती, ना ही उनकी बीवी को पार्ट-2 के लिए इतनी मेहनत करनी पड़ती और ना ही 6 साल की इस बच्ची को ऐसे ज़लील होना पड़ता।

एडिटर्स नोट: मामले की तफ्तीश के लिए Youth Ki Awaaz ने लवकुश नगर थाने में बात की। थाने में मौजूद सिपाही श्रीराम द्विवेदी ने मामले की पुष्टि की और बताया कि आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 374, 504, जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन) एक्ट, और एससी/एसटी (प्रिवेंशन ऑफ़ ऐट्रोसिटी) एक्ट के तहत मामला दर्ज़ कर लिया गया है। आरोपी की अब तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।

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