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बधाई हो दीपक शर्मा, हिंदु धर्म को कलंकित करने के लिए

सबसे पहले तो बधाई हो दीपक शर्मा, तुम जो चाहते थे वो तुम्हें मिल चुका है। राष्ट्रीय स्तर पर पहचान, कुछ हज़ार बेवकूफों की वाह-वाह जो धर्म के नाम पर कुछ भी शेयर करने को तैयार हैं और कुछ ऐसे दुश्मन जो अब तुम्हारे ही दुश्मन नहीं है बल्कि हर उस शख्स को शक की निगाह से देखेंगे जिसने भगवा धारण कर रखा है। ऐसा करके किसकी मदद की है तुमने? वंचितों की, दलितों की, गरीबों की, धर्म की, बेरोज़गारों की या बीमारों की? इसमें अंतिम विकल्प तुम्हारे लिए सही रहेगा शायद। तुम केवल उन बीमार लोगों का प्रतिनिधित्व कर सकते हो जिनकी चिंतन शक्ति का स्तर तुमसे भी कम है।

तुम्हे इस्लाम और उससे जुड़े लोगों से बहुत दिक्कत मालूम होती है। ऐसा लगता है कोई व्यक्तिगत दुश्मनी है तुम्हारी या तुम भी किसी के शागिर्द रहे होगे जिसने तुम्हारा ब्रेनवॉश कर दिया जैसे तुम करने में लगे हो उन हज़ारों बच्चों का, जिन्हें अभी ठीक से ये भी नहीं मालूम कि धर्म होता क्या है।

शायद तुम्हे भी ना मालूम हो, नहीं तो सनातन धर्म को इतना कमज़ोर ना समझते कि उसे तुम जैसे कमज़ोर की ज़रूरत पड़ेगी जो बहस करने के बजाय मारपीट को बढ़ावा देता है।

तुमने राम, शंकराचार्य, विवेकानंद, रामकृष्ण, गोरख, कृष्ण और ऐसे हज़ारों लोगों का नाम शायद सुना होगा लेकिन अपने राजनीतिक हित के लिए इनकी शिक्षाओं पर पानी फेर दिया। हां, अब अगर तुम्हारे कुतर्क के स्तर पर जाएं तो तुम ये ज़रूर कह सकते हो कि कृष्ण ने भी तो युद्ध करने को कहा था, राम तो लंका में जाकर लड़े थे और गोरख का तो इंद्र तक से युद्ध हो गया था। लेकिन हे जड़मति! क्या राम, कृष्ण और गोरख के युद्ध केवल मीम बनाने को लेकर हुए थे? और अगर हुआ भी था तो क्या इन सबने अपने प्रतिद्वंद्वी को फेसबुक पर लड़की बनकर फंसाया था? या छिपकर वार किया था? कुछ नासमझी भरा कृत्य करने से पहले तुम्हे हिंदुत्व की कितनी शिक्षाएं याद रहती हैं? अगर तुम्हे कुछ याद रहता है तो राम का छिपकर वार करना और कृष्ण का छल। इसकी गलत व्याख्या करके तुम्हारे जैसे लोग उन हज़ारों लोगों को मूर्ख बनाते हैं जो पहले से मूढ़ हैं।

सिर्फ तुम ही नहीं बल्कि जिहाद के नाम पर हूरों और जन्नत का सपना दिखाने वाले लोग भी इसी सिक्के के दूसरे पहलू हैं। एक बात जो मैं तुम्हे कहना चाहता था वो ये कि अगर तुम धर्म वालों को लड़ना है तो आपस में बात सुलझा लो इसे, एक आम हिन्दू या मुसलमान को इससे दूर ही रहने दो। तुम्हारी पोस्ट के नीचे जय श्री राम लिखने वाले आजकल फ्री इन्टरनेट के कारण जमकर समर्थन दे रहे हैं। लेकिन जिस दिन पहली किश्त देनी पड़ेगी उस दिन सब हाथ खींच लेंगे और फिर ये तो तुम्हारा व्यक्तिगत मामला है। अब तुम्हारी मज़ाक झेलने की क्षमता इतनी कम है तो इसमें हम जैसों का क्या दोष है? तुम कराओ अपना इलाज!

मैंने सुना है तुम इस बात का बहुत हल्ला करते हो कि तुमने धर्म की सेवा के लिए चंद सिक्कों का रोज़गार छोड़ दिया। कहीं तुम्हे भी अंतरात्मा की आवाज़ तो नहीं आ गयी? या फिर किसी दूसरे रिक्रूटर से कॉल तो नहीं आ गया? हो भी सकता है कि किसी ने तुम्हे लायक पाकर धर्मरक्षक की पोस्ट पर रख लिया हो। लेकिन ये जो काम तुम कर रहे हो उसमें मालिक रिक्रूटर नहीं है, उस धर्म के वो करोड़ों लोग हैं जिनके पास अपना विवेक है और जो किसी एजेंट की ज़रूरत महसूस नहीं करते।

इसलिए आपसे गुज़ारिश है कि अगर आपको बेईज्ज़त होने का शौक है तो अपना मनोरथ कहीं और पूरा कीजिये, हिंदुत्व की आड़ लेकर अपना शौक पूरा करने की इज़ाज़त इस देश में तो आपको मिलने नहीं वाली।

ये देश ना तुम्हारी मर्ज़ी से चलता है और ना ही तुम्हारे विचारों से। याद रहे भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और तुम्हारे नासमझ पिछलग्गुओं के आलावा कोई तुम्हारा समर्थन नहीं करता। हां मुझे लगता है तुम्हे अपना नाम बदलने की ज़रूरत है। एक प्रोफेशनल नाम सुझा रहा हूं, अच्छा लगे तो रख लेना #FraudHindu.

 

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