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क्या 2019 में भी विपक्ष के लिए दिल्ली दूर है?

कहते हैं सियासत में कोई किसी का नहीं होता, यह बात आज-कल सच होती दिख रही है। देश की सियासत का रंग भी रोज़ बदल रहा है और जिस तेज़ी से रंग बदल रहा है वह देखने लायक है। सभी राज्य जहां पर बीजेपी सत्ता में नहीं है या है भी तो मानो वहां पर विपक्ष के विधायकों की बीजेपी में शामिल होने की होड़ लगी हुई है कि पहले बीजेपी में कौन जाएगा। गुजरात से मणिपुर तक यही नज़ारा देखने को मिल रहा है।

बिहार में जो हुआ वो सभी ने देखा कि कैसे 15 घंटे के भीतर बिहार की सत्ता पलट गई। बिहार की सत्ता पर अभी भी नीतीश कुमार ही काबिज़ हैं लेकिन उनका सेनापति अब राजद के बजाय सहयोगी पार्टी बीजेपी से है।

बिहार के उपमुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने अब उनकी जगह ले ली है। इसी के साथ बीजेपी ने विपक्ष का एक और किला भी फतह कर लिया है। नीतीश कुमार ने अपना इस्तीफा देते वक़्त कहा था कि उन्होंने अपनी अंतरआत्मा की आवाज़ सुनते हुए बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। महागठबंधन को तोड़ते हुए मिट्टी में मिलने और बीजेपी से हाथ ना मिलाने वाली बात को भी उन्होंने जुमला साबित कर दिया।

खैर बिहार में नई सरकार बन चुकी है और गुजरात में जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, वहां पर भी अब सियासी भूचाल आने लगा है। फिलहाल गुजरात में अभी राज्यसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस सोनिया गांधी के करीबी अहमद पटेल को राज्यसभा भेजने की तैयारी में है। वहीं आए दिन कांग्रेस विधायक बीजेपी का दामन थाम रहे हैं, जिससे गुजरात में कांग्रेस की यह हालत हो गई है कि उसको अपने 44 विधायकों को बचाने के लिए बेंगलूरू भेजना पड़ गया। बीते कुछ दिनों में गुजरात कांग्रेस के सात विधायक पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक कई विधायक अभी पार्टी छोड़ने की कतार में हैं। सौराष्ट्र के जामनगर (ग्रामीण) निर्वाचन क्षेत्र के एक विधायक राघवजी पटेल ने कहा, “मैं भाजपा में जाना चाहता हूं और पांच अन्य भी हैं जो इसकी तैयारी कर रहे हैं।”

कांग्रेस पार्टी के विधायकों में मची भगदड़ के बीच पार्टी नेतृत्व ने भारतीय जनता पार्टी पर ज़ोरदार हमला करते हुए कहा कि बीजेपी गुजरात में विधायकों की खरीद फरोख्त कर रही है। पार्टी नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि “गुजरात में भारतीय जनता पार्टी विधायकों की खरीद फरोख्त में करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।” उन्होंने कहा, “गुजरात कांग्रेस के विधायक पुनाभाई गामित ने बताया कि बीजेपी द्वारा उन्हें 10 करोड़ रुपये ऑफर किये गए थे।”

कांग्रेस छोड़ने वालों में सबसे पहले गुजरात कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला है, जिनका कांग्रेस छोड़ना बीजेपी के लिए बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। इसके अलावा बलवंत सिंह राजपूत, डॉक्टर तेजश्री पटेल, पीआई पटेल, छनाभाई चौधरी, मान सिंह चौहान और रामसी परमार का नाम भी कांग्रेस छोड़ने वालों में शामिल है। अमित शाह पिछले दिनों गुजरात दौरे पर थे और उन्होंने वहां से राज्यसभा के लिए परचा भी भरा है, जहां से उनका राज्यसभा जाना तय माना जा रहा है।

बीते 10 दिनों में ही मणिपुर कांग्रेस के दो विधायक भी बीजेपी में शामिल हुए। इसी तरह गुजरात में भी सात विधायक बीजेपी में शामिल हुए जिससे वहां पर कांग्रेस के अब 50 विधायक रह गए हैं और अहमद पटेल का राज्यसभा पहुंचना मुश्किल होता नज़र आ रहा है। हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव में ऐसा हो चुका है। कांग्रेस के 57 विधायक होने के बावजूद मीरा कुमार के समर्थन में सिर्फ 49 वोट पड़े थे।

 विपक्ष भले ही इन घटनाओं को लोकतंत्र की हत्या बता रहा हो या खरीद फरोख्त की बात कहकर बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रहा हो। लेकिन इन सब बातों के बाद भी बीजेपी में शामिल होने वालों की कमी नहीं है। 2019 के चुनाव को देखते हुए विपक्ष के लिए यह हालात बेहद गंभीर हैं। जहां विपक्ष को मज़बूत होना चाहिए वहीं विपक्ष ताश के पत्तों की तरह बिखरता हुआ नज़र आने लगा है और बिहार की घटना इसका जीता जागता उदाहरण है।

 

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