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Untouchable India

Concept

UNTOUCHABLE  INDIA

सदियो से उपेक्षा झेल रहा शोषित और दलित भारत की ऋषि मुनि ,गुरु और विद्वानों की इस पावन धरा पर अछुत् कैसे कहलाता है।
अछूत होने की परिभाषा का पैमाना ये है की वह एक उपेक्षित और निचले जीवनस्तर वाले वर्ग में पैदा हुआ, जब मनुष्य पैदा होता है तब न उसकी जाति होती है न उसका कोई धर्म।
जाति व्यवस्था का निर्माण पहचान अथवा अस्तित्व के लिए हुआ था न की भेदभाव और छुत अछुत की भावनाओ को बढ़ावा देने के लिए।
मानव का रिश्ता मानव से छुत अछूत का न होकर भाई भाई का होना चाहिये प्रेम भाव का होना चाहिये वर्ना हमारी सांस्कृतिक धरोहर “वसुदेव कुटुम्भकुम” की मूल भावना को ठेस पहुचेगी।
मानव शरीर में बहने वाला रक्त का रंग एक होता है बनाने वाले ने हमें जिन पंचतत्वों से बनाया है वो पूरी मानव जाति की काया में विद्यमान होते है।
यह छूत का षड्यंत्र अपने निजी स्वार्थ के अनुसार भाई को भाई से और मानव को मानव से अलग रखना था
बदलते वक्त के साथ छूत छूत के वास्तविक अर्थ को समझना होगा और अछुत समझे जाने वाले लोगो का दर्द अब हमेँ समझना होगा ।
अछूत तो वह है जो पापी है जो आर्थिक अपराधी है सामाजिक अपराधी है और देश द्रोही है बलात्कारी है व्यभिचारी है।
खून पसीना बहा कर अपने एवँ अपने परिवार का पेट भरने वाले,जरुरतो को ना पूरा कर पाने वाले अछूत नहीँ है।
अछूत वह है जिसने भष्ट्राचार का दामन पकड़ रखा है,गुनाह का रास्ता अपना कर अपनी विलासिताये पूरी करता है।
ये वो बीमारी है जिसने भारत को लीलने में कोई कसर नहीँ छोड़ी है इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए आपको और हमेँ सभी को एक साथ आना होगा एक बीमारी के मिटने से भारत ऐसी अनेको बीमारी से खुद ब खुद छुटकारा पा लेगा एक मनुष्य का दूसरे मनुष्य से सिर्फ मानवता का नाता हो ना कोई जाति पाती का भेद भाव हो ना कोई अमीरी गरीबी का भेदभाव हो ना ही किसी धर्म विशेष का भेदभाव। आओ मिलकर कोशिश करेँ इस विकराल बीमारी को मिटाने की और एक नए भारत को बनाने की।
जय हिंद जय भारत
संदीप आनंद पंचाल

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