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रेपिस्ट बाबा हिरासत में लिया गया तो यूं जल उठा देश

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम सिंह को बलात्कार के आरोप में पंचकूला की सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया है। कोर्ट का फैसला आते ही राम रहीम को पुलिस हिरासत में ले लिया गया है। राम रहीम को पुलिस हिरासत में लिए जाने के साथ ही उनके समर्थकों ने हंगामा शुरू कर दिया है। अभी तक इस हिंसा में लगभग 25 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 लोग घयाल हुए हैं, जिनमें 40 लोगों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। फिलहाल पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में जगह-जगह हाई अर्लट जारी कर दिया है।

उग्र समर्थकों ने दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर खड़ी रीवा एक्सप्रेस के दो कोचों में आग लगा दी और गाज़ियाबाद के एक अस्पताल को भी इन्होंने अपना निशाना बनाया। पंचकूला के 100 से अधिक गाड़ियों में आग लगा दी लगा गई है, यहां के इनकम टैक्स ऑफिस को भी आग के हवाले कर दिया गया। हालांकि हरियाणा के डीजीपी मोहम्मद अकील का कहना है कि स्थिति अभी काबू में है और 1000 से ज़्यादा समर्थकों को हिरासत में ले लिया गया है।

सड़क पर जलती गाड़ियां

प्रशासन को इस बात का पहले ही पूरा अंदाज़ा था कि फैसला आने पर स्थिति बेकाबू हो सकती है। जिसकी वजह से आज हरियाणा और पंजाब में सुबह से ही हाई अर्लट जारी कर दिया गया था। तकरीबन 15 हज़ार जवान पंजाब और हरियाणा में तैनात किए गए थे। 200 से ऊपर ट्रेनें रद्द कर दी गई थी। स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया था। बस और इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गई थी। बावजूद इसके प्रशासन स्थिति पर काबू पाने में नाकामयाब रही और कई मासूमों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है।

इस हिंसक घटना के बाद 250 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। नोएडा, गाज़ियाबाद और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में भी धारा 144 लगा दी गई है। पंजाब सरकार ने स्थिति बेकाबू होते देख केंद्र सरकार से पुलिस सेक्योरिटी की मांग की है।

हिंसा और आगजनी की तस्वीर

क्या है मामला:
राम रहीम के खिलाफ 2002 में दो साध्यिवों के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था। जिसके बाद सीबीआई ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्देश पर उसके खिलाफ मामला दर्ज किया था। राम रहीम सिंह द्वारा कथित तौर पर दो साध्वियों के यौन उत्पीड़न को लेकर अनाम चिट्ठियों के सामने आने के बाद अदालत ने यह निर्देश दिया था।

13 मई 2002 को तात्कालिक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक खत लिखकर एक यौन शोषण पीड़िता ने सारी घटना के बारे में बताया था। जिसके बाद से ये मामला सामने आया था।

यह वक्त यह हालत,  सड़क पर आस्था के नाम पर बेहूदगी की आग और मरते लोग, बस ये सोचिए कि देश में अगर सबसे आसान कुछ है तो लोगों का मर जाना। हम बात करेंगे, हम हिंसा पर बात करेंगे, हम बाबा पर बात करेंगे हम बेबसी पर बात करेंगे लेकिन जो लोग मर गए हैं अब उनपर ना हम बात करेंगे ना सरकारें बात करेंगी और ना हमारी ज़िम्मेदारियां बात करेंगी। आवारा भीड़ के खतरे के बारे में हमें पढ़ते-पढ़ाते देश के साहित्यकार इतिहास हो गएं, लेकिन हर बार, हर वक्त ये देश आवारा है और भीड़ है।

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