कल शाम को मैं चाय के दुकान के मैं एक आदमी से मिला जो मुझे हताश निराश और परेशान नज़र आ रहा था।कौतूहलवश मैंने उन सज्जन से पूछा कि क्या कारण है तो उन्होंने जो बताया उससे मैं एक गहरी सोच में डूब गया।उन्होंने बताया कल वो अपने क्षेत्र के Mla से मिले और उनसे अपनी परेशानी बताई तो उन्होंने उन्हें ये कह कर निकाल दिया कि वो उसके नौकर नही है।उनकी बस यही समस्या थी कि उनके बच्चे को अच्छे नम्बरों के बाबजूद अच्छे संस्थान में एड्मिसन नही मिल रहा था।उनका किसी ने साथ नही दिया,और न वे इसके खिलाफ आवाज़ उठाने को तैयार है।मुझे बहुत सींचने और विचारने के बाद यही लगा कि ये अधिकारों के प्रति अजगरुक्ता नही तो और क्या है।